Own strangers: अपने पराये
फोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फोन की घंटी बजती ही जा रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने फोन उठाया। ‘हेल्लो, कौन’ तभी दूसरी...
अनोखा एवं पवित्र रिश्ता
यह बात कुछ पुरानी भी नहीं है और न ही नई। पांच-सात साल पहले की बात है। समय कब बदल जाता है कुछ पता नहीं चलता, लेकिन पता तब चलता है जब हमें उस रिश्ते का एहसास होता है। यह अनुभव बहुत ही अनोखा है और उतना ही सुंदर तथा पवित्र भी, जितना हम किसी रिश्ते को समझ...
लघु कथा : रिया का स्वाभिमान
रिया कमरे के एक कोने में पड़ी सिसक रही थी। कल रात पहली बार राहुल ने उस पर हाथ उठाया था। खता क्या थी उसकी? बस यही न कि उसने राहुल के देर रात घर लौटने की वजह पूछ ली थी। इस जरा से सवाल पर राहुल अपना आपा खो बैठा और गालियों की बौछार शुरू कर दी। ऊपर जाते हु...
कहानी : सलाह यह या वह
एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया। उसे घर पहुंच कर इस बात का पता चला। बटुए में जरूरी कागजों के अलावा कई हजार रुपये भी थे। फौरन ही वो मंदिर गया और प्रार्थना करने लगा कि बटुआ मिलने पर प्रसाद चढ़ाऊंगा, गरीबों को भोजन कराउंगा आदि। संयोग से वो बटुआ ...
Story : मैंने कोरोना को नहीं हराया
मैं एक प्राइवेट कंपनी में बाबू हूँ। हमेशा की तरह मैं कम्पनी में काम कर रहा था। ‘मुझे हल्का बुखार आया, शाम तक सर्दी भी हो गई। पास ही के मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेकर खाई।’ 3-4 दिन थोड़ा ठीक रहा, एक दिन अचानक सांंस लेने में दिक्कत हुई। आॅक्सीजन लेवल कम ह...
लघुकथा : दो पेड़
एक पेड़ ने अपने मित्र पेड़ से पूछा-आखिर आज कल इन इन्सानों को हो क्या गया है! ये कम ही चहल पहल करते हैं और घरों में कैदियों की तरह रह रहे हैं। दूसरे पेड़ ने कहा-‘‘ये खुद जिम्मेदार हैं।
पेड़-‘‘वो कैसे भाई?’’
मित्र-भाई इन इन्सानों ने पहले तो कुदरत को अपना...
कहानी कोख का कर्ज
जगेश बाबू का कभी अपना जलवा था। रौबिले और गठिले जिस्म पर सफेद कुर्ता-धोती मारवाड़ी पगड़ी खूब फबती। हाथ में छड़ी और मुंह में पान की गिलौरी दबाए ताव से मूंछों पर हाथ भांजते रहते। शहर से गांव आते तो उनकी जेब में सूंघनी की डिब्बी और गमकौवा इत्र पड़ा रहता। जग्...
Dream Room: स्वप्न कक्ष
एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था। माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे। सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे। सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफलता प्रा...
ज़िंदगी से मौत बोली ख़ाक़ हस्ती एक दिन
ज़िंदगी से मौत बोली ख़ाक़ हस्ती एक दिन
जिस्म को रह जाएंगी रूहें तरसती एक दिन
मौत ही इक चीज़ है कॉमन सभी इक दास्तो
देखिये क्या सर बलन्दी और पस्ती एक दिन
पास रहने के लिए कुछ तो बहाना चाहिए
बस्ते-बस्ते ही बसेगी दिल की बस्ती एक दिन
रोज़ बनता और बि...
टैलेंट नहीं, फिर भी राजा करते थे कप्तानी
25 जून 1932 को हुआ था भारतीय क्रिकेट का ‘जन्मदिन’
भारत क्रिकेट की महाशक्ति है और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया के पूरे क्रिकेट तंत्र को अपने इशारों पर नचाने की हैसियत रखता है। एक नहीं, दो-दो विश्वकप भारत के हक में हैं, जबकि आईसीसी चैम्पियन्स ...