मन की बुराई का दहन है जरूरी
आज समाज में चहुँ ओर हिंसा, अराजकता व झूठ का बोलबाला है। प्रत्येक वर्ष विजयदशमी के पर्व पर कागज के पुतले फूंक कर बुराई की इति श्री के मिथ्या भ्रम में ही उलझे रहते हैं और अपने अन्दर छिपी बुराइयों को नजरंदाज कर देते हैं क समाज की प्रत्येक इकाई से गिर रह...
इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी
तीन अक्टूबर 1977 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था। (Indira Gandhi) उन पर चुनाव प्रचार के लिए जीप की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप था। कहा गया कि 1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली में इंदिरा के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं।...
जानें, क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व? | Dussehra
विजय दशमी दशहरा (Dussehra) का पर्व बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक पर्व है, यह पर्व देश की सांस्कृतिक चेतना एवं राष्ट्रीयता को नवऊर्जा देने का भी पर्व है। आज भी अंधेरों से संघर्ष करने के लिये इस प्रेरक एवं प्रेरणादायी पर्व की संस्कृति को जीवंत बनाने की ...
महापरोपकार माह के उपलक्ष्य में कविता
नाच रहा ये जहां ..
डालू जिधर नजर रहमतों के भंडार खुले हैं ,
होकर खुशियों में बावले
आज हम अपने को भूले हैं ।
हमारी किस्मत बनाई ,
की तुम्हें पाकर धन्य हुए ।
आज चली महकती पुरवाई ,
जो हर दिल को छुए ।
नाच रहा है ये जहां ,
हलचल है दसों दिश...
महात्मा गांधी जी के जीवन की कुछ रोचक घटनाएं और तथ्य | Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी का जीवन परिचय | गांधी जयंती विशेष
पवन कुमार।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास कर्म चन्द गांधी (Mahatma Gandhi) था। इनका जन्म 2 अक्तुबर सन 1869 में गुजरात के पोरबन्दर में हुआ। इनके पिता करम चन्द गांधी पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे व...
तेरे खत के दीवाने शहर में लाखों हैं ….चिट्ठी आई है
एक चिट्ठी किसी एक शहर से चली और पते पर पहुंचते ही सबको पता चल गया चिट्ठी आई है। अल्फाजों की कशिश,शब्दों की मोहब्बत,अक्षरों के आकर्षण का क्या कहना? बिना मजबून भापे ही भगदड़ मच गई ये जानने के लिए मेरे लिए क्या लिखा है? मुझसे क्या कहा? कैसे हैं? कब आएंग...
खुद की पहचान करो
एक बार की बात है, किसी गाँव के पास बहती नदी के किनारे बुद्ध बैठे थे। किनारे पर पत्थरों की भरमार थी, पर छोटी सी वह नदी अपनी तरल धारा के कारण आगे बढ़ती ही जा रही थी। बुद्ध ने विचार किया कि यह छोटी-सी नदी अपनी तरलता के कारण कितनों की प्यास बुझाती है, लेक...
कुत्ते जिहा ना कोई वफ़ादार
सुत्ता उठ के कोई नहीं खुश हुंदा बुल्लेया
ते बड़े सुत्ते जगा के वेखिया ए
कुत्ते जिहा कोई नहीं वफादार डिट्ठा
ते टुक्कर सुक्का वी पा के वेखिआ ए
तोता जदों वी छड्डिए उड्ड जांदा
कईआं चूरिआं पा के वेखिआ ए
डंग मारनों कदे वी सप्प नहीं हटदा
कईआं दूध पिआ ...
कविता: मैं किसान हूँ…
हा मैं किसान हूँ
जमीं को चीर कर अन्न उगाने वाला।
खुद की पेट काट कर भी
सबकी भूख मिटाने वाला।
सरकार की बीमार
मानसिकता का
शिकार हो कर भी पेट भरने वाला
आय दोगुनी का लॉलीपॉप दे कर ।
एक्ट ला हमें खत्म करने वाली
सरकार के खिलाफ है हम
न हम हिंदुस्ता...
संगत का असर
एक बार एक बौद्ध भिक्षु भिक्षा लेने एक नगर में गया हुआ था। और सारे नगर के लोग उसकी सेवा करना चाहते थे क्योंकि उस समय बौद्ध भिक्षुओं का बहुत सम्मान था। इसलिये जिसे भी पता चला दौड़ा-दौड़ा उस भिक्षु के पास पहुँचा। उन्हीं में से एक वेश्या भी थी जिसने उस भिक...