बाल कथा : संतोष की महत्ता
जीवन में संतोष है तो सब कुछ है। संतोष नहीं तो सब कुछ होने पर भी मनुष्य के पास कुछ नहीं। जीवन को सुखमय बनाने के लिए संतोष आवश्यक है। जीवन का लक्ष्य भौतिकवाद नहीं है जबकि मनुष्य हमेशा भौतिक पदार्थों को इक्ट्ठा करने में ही लगा रहता है। भौतिकवाद तो एक अं...
Love Animals: पशुओं से प्यार
तुम इस पिल्ले को मुझे दे दो, बदले में जो चाहो ले लो। मालिक की बात सुनकर रतन बोला, मालिक, यह पिल्ला तो मुझे जान से भी ज्यादा प्यारा है और मेरे परिवार का हिस्सा है
हुआ उजाला
अंधकार की काली चादर,
धरती पर से सरकी।
हुआ उजाला जग में कोई,
बात नहीं है डर की।
चींचीं चींचीं चिड़िया बोली,
डाली पर कीकर की।
कामकाज बस शुरू हो गया,
सबने खटर-पटर की।
लाया है अखबार खबर सब,
बाहर की, भीतर की।
घंटी बजी, दूध मिलने में,
द...
बाल कथा : संतोष
चाणक्य मगध देश के राजा चन्द्रगुप्त के मंत्री थे। वे बुद्धिमान, तपस्वी और राजनीतिज्ञ थे। चाणक्य मंत्री होते हुए भी बहुत साधारण जीवन व्यतीत करते थे और शहर से बाहर एक झोंपड़ी में रहते थे। एक बार राजा चन्द्रगुप्त ने मंत्री चाणक्य को कुछ कंबल दिए और कहा-इन...
वर्षा की देवी
बहुत पहले एक गांव में एक दंपति रहते थे। जब बहुत वर्ष तक उनके यहां संतान न हुई तो उन्होंने देवी की पूजा की।पूजा-पाठ के प्रभाव से ही उनके घर एक कन्या हुई। कन्या सुशील व सुंदर थी। उसके चेहरे से ज्योति निकलती रहती थी। जब वह जरा बड़ी हो कर चलने-फिरने लगी त...
Farmer’s clock: किसान की घड़ी
लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा, और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी। किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा, ‘ बेटा, कहाँ थी ये घड़ी, और जहां हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?’
परहित सेवा
फारस देश का बादशाह नौशेरवां न्यायप्रियता के लिए विख्यात था। एक दिन वह अपने मंत्रियों के साथ भ्रमण पर निकला। उसने दखा कि एक बगीचे में एक बुजुर्ग माली अखरोट का पौधा लगा रहा है।
बादशाह माली के समीप गया और पूछा, ‘‘तुम यहां नौकर हो या यह तुम्हारा ही बगीच...
सिर नीचा क्यों?
एक सज्जन बड़े ही दानी थे। उनका हाथ सदा ही ऊँचा रहता था, परंतु वे किसी को नजर उठाकर नहीं देखते थे। एक दिन किसी ने उनसे पूछा, ‘‘आप सबको इतना दान देते हैं, फिर भी आँखें नीची क्यों रखते हैं? चेहरा न देखने से आप किसी को पहचान नहीं पाते, इसलिए कुछ लोग आपसे ...
शिशुगीत
अब चुहिया ने सुंदर-सुंदर
सूट सिलाया लाल,
ठुमक-ठुमक कर चलती है वो
ऊँची सैंडिल डाल।
गिरी फिसल के बीच सड़क पर
बड़ा बुरा था हाल,
समझ गयी थी बहुत बुरा है
इस फैशन का जाल
सुनीता काम्बोज, यमुनानगर
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बड़ा कौन
एक गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। अचानक एक शिष्य ने सख्त चट्टान को देखकर उनसे प्रश्न किया, ‘‘क्या इससे भी कठोर कुछ हो सकता है?’’ गुरु ने उत्तर नहीं दिया बल्कि यही प्रश्न शिष्य मंडली से पूछने लगे।
एक ने कहा, ‘‘लोहा चट्टान से भी कठोर है, जो ...