कभी घग्गर नदी पर बैसाखी मेले लगते थेे
रतिया (सच कहूँ/तरसेम सैनी/शामवीर)। Ratia News: शहर के पास से होकर गुजरने वाली घग्घर नदी पर पर कभी 13 अप्रैल बैसाखी के दिन मेले लगते थे, मगर अब लोगों द्वारा सीवरयुक्त पानी व फैक्ट्रियों का कैमिकलयुक्त युक्त दूषित पानी डालने से घग्घर का पानी दूषित होने के कारण घग्घर के पास से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। क्षेत्र के अनेक लोगों व विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने केंद्र व राज्य सरकार से घग्गर नदी में डाले जाने वाले गंदे कैमिकल युक्त पानी को बंद करने की मांग की है ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके। प्रेम कुमार, तरसेम सिंह, कुदन लाल, राजबीर, वरुण कुमार, जगसीर सिंह, सरदूल सिंह, त्रिलोचन सिंह, सतपाल, रमेश, जोगिंद्र आदि ने बताया कि घग्गर नदी में लगभग ढाई दशक पहले तक साफ पानी चलता था और घग्गर नदी पर बैसाखी के मौके पर घाट पर मेले भी लगते थे तथा लोग स्नान करते थे। Fatehabad News
उन्होंने बताया कि काफी समय से घग्गर नदी में हरियाणा व पंजाब के अनेक शहरों से सीवरयुक्त पानी व फैक्ट्रियों का कैमिकलयुक्त पानी नदी में डाला जा रहा है जिससे नदी का अस्तित्व खतरे में है। लोगों ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ.साथ पर्यावरण मंत्री, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से भी मांग की है कि घग्गर नदी में डाले जाने वाले गंदे पानी पर तुरंत प्रभाव से पाबंदी लगवाई जाए और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए जो नदी के अस्तित्व को समाप्त करने पर तुले हुए हैं। उन्होंने बताया कि यह नदी किसानों के लिए कभी वरदान साबित होती थी लेकिन अब गंदे पानी के कारण नदी के आसपास के ट्यूबवैलों का पानी भी दूषित हो गया है जिससे अनेक बीमारियां पनपने का खतरा बना हुआ है और फसलों को भी नुकसान होता है। Fatehabad News
उन्होंने कहा कि यदि इस कैमिकल युक्त पानी को समय पर नहीं रोका गया तो दूषित पानी से पैदा होने वाले प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। लोगों ने कहा कि इस नदी का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। यह नदी शिमला की पहाडिय़ों से निकलकर चंडीगढ़, पटियाला, संगरूर जिलों से होती हुई हरियाणा के फतेहाबाद व सिरसा जिले से निकलकर राजस्थान के गंगानगर जिले से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। उन्होंने कहा कि आज नदी को बचाने की जरूरत है ताकि हमारे देश की नदियां सुरक्षित रह सकें। रतिया क्षेत्र की अनेक संस्थाएं पिछले लंबे समय से नदी के दूषित पानी को बंद करवाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। गौरतलब है कि घग्गर नदी में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़ व अन्य क्षेत्रों की फैक्ट्रियों का गंदा पानी इसमें छोड़े जाने के पश्चात जहां पूरी नदी दूषित हो
गई है, वहीं रतिया के घग्गर पुल के नीचे बड़े-बड़े पत्थर लगे होने के कारण दूषित पानी यही एकत्रित हो जाता है, जिससे न केवल आसपास क्षेत्रों में बदबू फैलती थी, बल्कि भूजल स्तर भी काफी दूषित हो रहा था। हालांकि रतिया क्षेत्र के लोग सत्ता में आने वाली सभी सरकारों के समक्ष घग्गर नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए अनेकों बार आवाज उठा चुके है और निरंतर संघर्ष भी कर रहे है तथा जहां तक कि दूषित पानी से निजात पाने के लिए अनेक सरकारों ने इस घग्गर नदी के दूषित पानी को अपना चुनावी मुद्दा भी बना लिया था, मगर फिर भी कोई भी सरकार इस दूषित पानी के बहाव को बंद करने में आज तक सफल नहीं हो पाई है। Fatehabad News
90 के दशक में नदी पर रहती थी रौनक
गांव बलियाला निवासी 65 वर्षीय जंगीर सिंह का कहना है कि 90 के दशक में नदी में स्वच्छ पानी बहता था। तब इस नदी पर बड़ी रौनक रहती थी। आसपास के गांवोंं केे लोग नदी के पानी को पीने में प्रयोग करते थे। अधिकांश लोग नदी में ही नहाने के लिए आते थे। नदी के किनारों पर हरी भरी घास पैदा होती थी। जहां पर अकसर पशु चरते नजर आते थेे लेेकिन अब दूषित पानी के बहाव के कारण लोग भूलकर भी नदी की तरफ नहीं जाते।
11 रतिया 1-बलियाला निवासी जंंगीर सिंह।
बैसाखी पर करते थेे लोग स्नान
रतिया निवासी 80 वर्षीय लीला सिंह का कहना है कि वर्षों पूर्र्व घग्गर नदी में बिलकुल साफ पानी बहता था। लोग पानी को पीने में आम ही प्रयोग करते थेे। बैसाखी पर नदी पर मेले लगते थे और लोग नदी के पवित्र जल में स्नान करते थे। अब नदी का बिगड़ा हुआ स्वरुप देखकर मन मायूस हो जाता है। नदी में ढाई दशक से अत्यंत दूषित पानी बह रहा है लेकिन सरकारें इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही।
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