Happy Father’s Day : किसी के भी जीवन में पिता की क्या भूमिका होती है, इसे शब्दों में बयां करने की भी जरूरत नहीं है। पिता हर संतान के लिए एक प्रेरणा हैं, एक प्रकाश हैं और संवेदनाओं के पुंज हैं। इसके महत्व को दर्शाने और पिता व पिता तुल्य व्यक्तियों के योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस यानी फादर्स डे मनाया जाता है। Happy Father’s Day
दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन और विविध परंपराओं के कारण उत्साह एवं उमंग से यह दिवस मनाया जाता है। हिन्दू परंपरा के मुताबिक पितृ दिवस भाद्रपद महीने की सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती।
ग्रन्थों में माता-पिता और गुरु तीनों को ही सर्वोपरि माना गया
हमारे ग्रन्थों में माता-पिता और गुरु तीनों को ही सर्वोपरि माना गया है। इनकी सेवा और भक्ति में कसर रह जाए तो फिर ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं। और अगर हमने इनकी सेवा पूरे मन से की तो भगवान स्वयं कच्चे धागे से बंधे भक्त के पीछे-पीछे चल पड़ते हैं। आखिर श्रवण कुमार में ऐसा क्या खास था कि किसी भी भगवान से उनकी अहमियत कम नहीं है। माता-पिता की भक्ति और सेवा ने उसे भक्त प्रह्लाद और धु्रव के बराबर का आसन दिलाया है। पिता चाहे कैसे भी वचन बोले, कैसा भी बर्ताव करे, संतान को उनके प्रति श्रद्धा और विनम्रता से आज्ञाकारी होना ही चाहिए।
केवल इतना सूत्र भर साध लेने से हम उस ईश्वर के राज्य के अधिकारी बन जाते हैं, जिसे पाने के लिए जाने कितने तपस्वियों ने शरीर गलाया, बरसों साधना की। कन्धे पर माता-पिता को लेकर तीर्थ कराने निकला श्रवण जब उनकी प्यास बुझाने के लिए पानी भरते हुए राजा दशरथ का एक तीर लग जाने से प्राण त्यागता है, तब वह अन्तिम इच्छा में यही कहता है-‘मेरे माता-पिता प्यासे हैं, आप उन्हें जाकर पानी पिला दें।’ प्राण त्यागते हुए भी जिसे अपने माता-पिता का ध्यान रहे, वह संतान उस युग में ही नहीं, इस युग में भी धन्य है। उसे किसी काल की परिधि में नहीं बांध सकते।
मानवीय रिश्तों में दुनिया में सबसे बड़ा स्थान मां को दिया जाता है
मानवीय रिश्तों में दुनिया में सबसे बड़ा स्थान मां को दिया जाता है, लेकिन एक बच्चे को बड़ा और सभ्य बनाने में उसके पिता का योगदान कम करके नहीं आंका जा सकता। बच्चे को जब कोई खरोंच लग जाती है तो जितना दर्द एक मां महसूस करती है, वही दर्द एक पिता भी महसूस करते हैं। यह अलग बात है कि बेटे को चोट लगने पर मां पुचकार देती है, चोट लगी जगह पर फूंक की ठंडक देती है, वहीं पिता अपने बेटे की चोट पर व्यथित तो होता है लेकिन उसे बेटे के सामने मजबूत बने रहना है। Happy Father’s Day
ताकि बेटा उसे देख कर जीवन की समस्याओं से लड़ने का पाठ सीखे, सख्त एवं निडर बनकर जिंदगी की तकलीफों का सामना करने में सक्षम हो। माँ ममता का सागर है पर पिता उसका किनारा है। माँ से ही बनता घर है पर पिता घर का सहारा है। माँ से स्वर्ग है माँ से बैकुंठ, माँ से ही चारों धाम है पर इन सब का द्वार तो पिता ही है। उन्हीं पिता के सम्मान में पितृ दिवस मनाया जाता है। आधुनिक समाज में पिता-पुत्र के संबंधों की संस्कृति को जीवंत बनाने की अपेक्षा है।
19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया
सोनेरा डोड जब नन्ही-सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की।
पिता आंसुओं और मुस्कान का एक समुच्चय है, जो बेटे के दुख में रोता तो सुख में हंसता है। उसे आसमान छूता देख अपने को कद्दावर मानता है तो राह भटकते देख अपनी किस्मत की बुरी लकीरों को कोसता है। पिता गंगोत्री की वह बूंद है जो गंगा सागर तक एक-एक तट, एक-एक घाट को पवित्र करने के लिए धोता रहता है। पिता वह आग है जो घड़े को पकाता है, लेकिन जलाता नहीं जरा भी। वह ऐसी चिंगारी है जो जरूरत के वक्त बेटे को शोले में तब्दील करता है। वह ऐसा सूरज है, जो सुबह पक्षियों के कलरव के साथ धरती पर हलचल शुरू करता है, दोपहर में तपता है और शाम को धीरे से चांद को लिए रास्ता छोड़ देता है।
पिता वह पूनम का चांद है जो बच्चे के बचपने में रहता है
पिता वह पूनम का चांद है जो बच्चे के बचपने में रहता है, तो धीरे-धीरे घटता हुआ क्रमश: अमावस का हो जाता है। पिता समंदर के जैसा भी है, जिसकी सतह पर असंख्य लहरें खेलती हैं, तो जिसकी गहराई में खामोशी ही खामोशी है। वह चखने में भले खारा लगे, लेकिन जब बारिश बन खेतों में आता है तो मीठे से मीठा हो जाता है।
बचपन में चॉकलेट, खिलौने दिलाने से लेकर युवावर्ग तक बाइक, कार, लैपटॉप और उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने तक संतान की सभी मांगों को पिता ही पूरा करते रहते हैं लेकिन एक समय ऐसा आता है जब भागदौड़ भरी इस जिंदगी में बच्चों के पास अपने पिता के लिए समय नहीं मिल पाता है। इसी को ध्यान में रखकर पितृ दिवस मनाने की परंपरा का आरम्भ हुआ। Happy Father’s Day
ललित गर्ग
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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