नहरों में बंदी के चलते ट्यूबवेलों के सहारे फसल बचाने में जुटे किसान
ओढां(सच कहूँ/राजू)। पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भयंकर गर्मी व प्रचंड लू ने जहां आमजन को परेशान कर रखा है तो वहीं सबसे ज्यादा परेशानी इस समय किसानों को झेलनी पड़ रही है। गर्मी की वजह से खेतों में झुलस रही नरमें की फसल को बचाने के लिए किसान दिन-रात खेतों में डेरा डाले देखे जा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि किसान कई-कई बार बीज बो चुके हैं, लेकिन अंकुरित होते बीज पर लू का इस कदर प्रकोप देखा जा रहा है कि पौधा धरती से बाहर निकलते ही झुलसकर खत्म हो रहा है। इस प्रचंड गर्मी ने किसानों को सांसत में डाल रखा है। जिन किसानों ने अगैती बिजाई की थी वो फसल तो कुछ ठीक है, लेकिन हाल ही में की गई बिजाई न के बराबर सफल हो रही है।
बता दें कि मौसम विभाग ने 10 से लेकर 12 तारीख तक प्रदेश में गर्मी को लेकर येलो अलर्ट जारी किया हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ का असर हटने के साथ ही प्रदेश में भीषण गर्मी एवं प्रचंड लू चलने लगी है। हालांकि 12 मई को एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मैदानी राज्यों में न के बराबर रहने वाला है। वहीं बंगाल की खाड़ी में समुद्री चक्रवात असानी की वजह से हवाओं की दिशा बंगाल की खाड़ी की तरफ होने की संभावना बन रही है। इसी कारण नमी भी समुद्री चक्रवात द्वारा खींच ली जाएगी। जिसके चलते हरियाणा, एनसीआर व दिल्ली से नमी नदारद हो जाएगी। जिससे तापमान के 45 से 48 डिग्री या इससे अधिक पहुंचने की संभावना बन रही है।
किसान बोले, कैसे बचेगी फसल
इस विषय में जब कुछ किसानों से बात की गई तो गांव नुहियांवाली के किसान जगदीश सहारण, चेतराम दादरवाल, सुल्तान देमीवाल, बलदेव, रविंदर वर्मा व जसराज सहारण आदि ने बताया कि इस समय भीषण गर्मी व लू का प्रकोप चल रहा है। ऐसे में खेतों में नरमें की फसल झुलस रही है। नहरों में बंदी के चलते वे ट्यूबवेलों के सहारे फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऊपर से अपर्याप्त बिजली कोढ़ में खाज का काम कर रही है। कि सानों ने बताया कि वे अब से पहले 2 बार नरमें की बिजाई कर चुके हैं। अब तीसरी बार सूखे में बीज डालकर ऊपर से सिंचाई कर जुगत बिठाई जा रही है। उन्होंने बताया कि ट्यूबवेलों का पानी जमीन के लिए उपयुक्त न होने के चलते भूमि में की गई सिंचाई 2-3 दिन ही ठहर पाती है।
दोहरी मार झेल रहे किसान
किसान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तो अधिक खर्च कर कई-कई बार बिजाई करने के बावजूद भी कामयाबी नहीं मिल रही और दूसरा सिंचाई पानी का खर्च। मायूस किसानों ने बताया कि हर तरफ सिंचाई पानी की मारोमार है। ऐसे मेंं ट्यूबवेलों का पानी भी कई-कई दिन इंतजार करने के बाद मिलता है। किसानों को ट्यूबवेल की सिंचाई एक हजार रुपये प्रति एकड़ पड़ रही है। किसानों ने कहा कि अगर मौसम में बदलाव नहीं हुआ तो इस बार नरमें की फसल न के बराबर ही होगी।
‘‘प्रदेश में भीषण गर्मी व लू को लेकर येलो अलर्ट जारी है। आगामी कुछ दिनों तक मौसम में तब्दीली आने के आसार कम है। ऐसे में फसलों का प्रभावित होना स्वाभाविक है। किसान सिंचाई को लेकर किसी तरह की ढिलाई न बरतें। हो सके तो सिंचाई सायं के समय करें। क्योंकि इससे रातभर नमी बनी रहेगी।
-रमेश सहु, सहायक तकनीक अधिकारी (कृषि विभाग, खंड ओढां)।
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