Kishan News: उत्तर भारत में किसानों का नहीं लगेगा टोल टैक्स!

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Kishan News: उत्तर भारत में किसान किसानों का नहीं लगेगा टोल टैक्स!

हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। Hisar News: संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान आए दोनों कोई न कोई ऐसा ऐलान करते रहते हैं, जो देश भर में चर्चा का विषय बन जाता है। रामायण टोल प्लाजा पर एकत्रित हुए 72 गांवों की किसान पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने अब एक और बड़ा ऐलान कर दिया है। किसानों ने कहा कि हरियाणा ही नहीं संपूर्ण उत्तर भारत में अब संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसी भी किसान को टोल नहीं देना पड़ेगा। Kishan News

किसानों का दावा है कि इसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी पास की जरूरत नहीं होगी, बल्कि सिर्फ यूनियन से जुड़ा मेंबरशिप का कार्ड किसानों के पास होना जरूरी है। इसके अलावा किसानों की गाड़ी पर किसी भी किसान संगठन से संबंधित झंडा लगा होना चाहिए। किसान नेता शमशेर सिंह लाडवा ने बताया कि हर महीने के पहले शनिवार को रामायण टोल प्लाजा पर मासिक बैठक होती है। उन्होंने बताया कि शनिवार को हुई बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि हरियाणा व पूरे उत्तरी भारत में किसी भी टोल प्लाजा पर किसान नेता या किसान संगठनों के सदस्यों का टोल टैक्स नहीं लगेगा। उनके वाहन निःशुल्क टोल पार करेंगे। Kishan News

खास बात यह है कि किसानों के इस निर्णय का टोल मैनेजमेंट भी विरोध नहीं कर रही है। जैसा किसान कहते हैं, उसी तरह मान लेते हैं। ज्ञात रहे कि इससे पहले भी जब-जब किसान आंदोलन हुए हैं। किसानों ने टोल फ्री अभियान भी चलाए हैं और किसानों के टोल फ्री अभियान सफल भी रहे हैं। जिससे आम जनता को भी फायदा मिला। पर यह फायदा हर बार नुकसान में भी बदला, क्योंकि जब-जब टोल फ्री अभियान चले हैं, तब तब टोल टैक्स महंगे होते चले गए। इस अभियान का खामियाजा बाद में आम जनता को महंगे टोल के रूप में भुगतना पड़ता है।

जारी रहेगा नेताओं का विरोध | Kishan News

किसान नेताओं ने किसान व मजदूरों के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की और आगामी कार्यक्रमों का शेड्यूल बनाया। इस मौके पर किसान एडवोकेट हर्षदीप गिल,किसान नेता विकास सिसर,दशरथ मलिक,कैलाश मलिक सहित काफी संख्या में किसानों ने संबोधित किया। किसान नेता विकास सिसर ने बताया कि इस मासिक बैठक में यह भी फैसला लिया है कि लोकसभा चुनाव 2024 पूरा होने तक लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं का विरोध किया जाएगा। वहीं दूसरी पार्टी के नेताओं से भी किसानों व मजदूरों की मांगों से संबंधित सवाल जवाब किए जाएंगे।

नेताओं से यह पूछा जाएगा कि अगर उनकी पार्टी की सरकार आती है तो वे किसानों के लिए क्या करेंगे? वर्तमान में किसानों की इस नई रणनीति को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता धर्म संकट में फंसे हुए हैं, क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल का नेता जब ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पक्ष में वोट की अपील के लिए जाता है तो किसान उसी जगह पर नारेबाजी करते हुए पहुंच जाते हैं व नेताओं से सवाल-जवाब करते हैं। Kishan News

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