यह पहली बार है कि किसानों की आत्महत्याओं के लिए जिम्मेवार कारणों में विवाह-शादियों में फिजूल खर्ची, नए-नए ट्रैक्टर व कोठियां खरीदने को शामिल किया गया हो। पंजाब विधान सभा में एक समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा कि किसानों पर कर्ज का मुख्य कारण किसान परिवार विवाह-शादियों पर अत्याधिक खर्चा व महंगे ट्रैक्टर खरीदने के लिए आढ़ती व फाईनेसरों से अधिक ब्याज पर कर्जे लेते हैं। यह सच्चाई है। वर्तमान की दिखावटी संस्कृति ने किसानों को मंदी का शिकार बना दिया।
आज पंजाब का कोई ऐसा शहर व कस्बा नहीं जहां आलीशान होटल, मैरिज पैलेस, रैस्टोरैंट न हों। विवाह शादी के प्रबंध बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले चुके हैं। कभी शादी में 5-7 हजार रुपए में होने वाली वीडियोग्राफी अब एक लाख रुपए तक पहुंच गई है। छोटे व मध्य वर्गीय किसान भी राजा-महाराजाओं की शान वाले टैंट, सजावट, खाने का खर्च करने लगे हैं। आॅटो कंपनियां गाड़ियां बेचने के लिए लोगों के घरों तक चक्कर लगाती हैं और फाइनेंस की सुविधा मुहैया करवाकर किसानों को गाड़ियां दी जाती हैं।
पंजाबी लोगों में आदत बन गई है कि किश्तों पर मिलने वाली वस्तु को लेने के लिए झट तैयार हो जाते हैं। रिपोर्ट में फिजूल खर्ची पर चिंता व्यक्त की गई, लेकिन इसे रोका कैसे जाए इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई। दरअसल यह सामाजिक मुद्दा है, समाज में परिवर्तन लाने के लिए पहले अमीर राजनेताओं को ही पहल करनी होगी। किसान संगठन भी इसे एक अभियान का रूप दें तो अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यूं यह मामला केवल पंजाब का नहीं बल्कि पूरे देश का है। यदि इस संबंधी कोई राष्ट्रीय नीति बनाई जाए तब बेहतर होगा।
अन्यथा फिजूल खर्ची के अलावा मौसम की मार, वाजिब भाव न मिलने, खर्च बढ़ने, मंडी प्रबंधों व तकनीकी जानकारी की कमी जैसी समस्याओं को ही कृषि के लिए जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। दरअसल कृषि में एक इंकलाब की आवश्यकता है जिसमें सरकार व किसानों को अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी। सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए। किसान फिजूल खर्ची के लिए उच्च ब्याज दरों पर कर्ज नहीं लेंवे। पंजाब की समिति द्वारा पेश किए गए तथ्यों में सभी दलों को ठोस निर्णय लेने का समर्थन करना चाहिए। अन्य सरकारें भी पंजाब से सीख ले सकती है।