पराली जलाने पर 15 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान | Hanumangarh News
हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। जिले में इस बार लगभग 35 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में धान फसल की बुवाई की गई है। इससे 20-25 लाख क्विंटल पराली का उत्पादन अनुमानित है। किसानों की ओर से धान फसल कटाई के तुरंत पश्चात खेत खाली कर गेहूं की बुवाई करने के लिए धान फसल अवशेष (पराली) को जलाने की प्रवृति है। उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित आयोग की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि धान की कटाई के दृष्टिगत जिले में फसल अवशेषों को नहीं जलाने के संदर्भ में कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। Hanumangarh News
इस सिलसिले में जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग ने निर्देश दिए हैं कि धान फसल कटाई उपरान्त फसल अवशेष (पराली) को नहीं जलाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए तथा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए तकनीकी जानकारी दी जाए, ताकि पर्यावरण प्रदूषित नहीं हो। इसी क्रम में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में 27 अक्टूबर को कार्ययोजना अनुसार जिला स्तरीय समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक का आयोजन जिला कलक्ट्रेट सभागार में किया जाएगा।
ग्राम पंचायत स्तरीय किसान गोष्ठियों का होगा आयोजन | Stubble Burning
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेश चंद्र बराला ने बताया कि किसानों को प्रेरित करने के लिए धान उत्पादक क्षेत्र की प्रत्येक पंचायत समिति पर पंचायत समिति स्तरीय किसान गोष्ठियों का आयोजन आगामी दो दिवस में किया जाएगा। तदोपरान्त प्रत्येक धान उत्पादक ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर ग्राम पंचायत स्तरीय किसान गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। किसान गोष्ठियों में फसल अवशेष (पराली) के समुचित प्रबंधन के लिए फसल अवशेष को पशुओं के चारे के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त पराली की गांठ बनाकर बायोमास आधारित पावर प्लांटों में उपयोग में लेने के लिए एवं गोशालाओं में चारे के रूप में उपयोग में लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए तकनीकी पम्पलेंट का वितरण भी किया जाएगा।
पराली जलाने पर 15 हजार रुपए तक जुर्माना
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेश चंद्र बराला ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड, नई दिल्ली की ओर से जारी निर्देश अनुसार फसल अवशेष जलाने पर दो एकड़ क्षेत्रफल तक 2500 रुपए, 2 से 5 एकड़ क्षेत्रफल तक 5 हजार रुपए तथा 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फसल अवशेष जलाने पर 15 हजार रुपए पर्यावरण क्षति पूर्ति के रूप में जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। अत: किसानों से अपील की जाती है कि धान फसल कटाई उपरान्त फसल अवशेष, पराली जलाने की बजाय उचित प्रबंधन करें, ताकि पशुओं के लिए चारे की किल्लत भी कम हो सके एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सके। Hanumangarh News
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