कृषि संकट में बुरी तरह पिसते किसान

Farmers, Suffering, Badly, Agriculture, Crisis, India

महाराष्ट्र के यवतमाल क्षेत्र में फसल को स्प्रे कर रहे 20 किसानों की मौत कृषि के लिए दुखद खबर है। यह घटना कृषि में गहरा रहे संकट, कृषि विभाग की नाकामी व सरकारों की लापरवाही का परिणाम है। दरअसल किसान बुरी तरह आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। सहायक धंधे प्रफुल्लित नहीं हो सके जो कृषि को बचा सकें।

किसान सीमित भूमि में अधिक से अधिक झाड़ प्राप्त कर अपनी नैय्या पार लगाने के लिए धड़ाधड़ स्प्रे करते हैं। झाड़ के लिए वह जरूरत से अधिक स्प्रे करने व अन्य सावधानियों पर ध्यान न देकर अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं। फसलों पर बीमारी का हमला किसानों को ऋणी कर रहा है।

जरूरत से अधिक स्प्रे पर लागत खर्च बढ़ रहे हैं। यदि किसानों को फसल का वाजिब भाव मिले तो स्प्रे के अनावश्यक प्रयोग को भी रोक लग सकेगी। नकली बीज व कीटनाशकों की बिक्री भी हर साल चर्चा में रहती है। बर्बाद हुई फसल को देखकर कृषि विभाग कहता है कि बीज नकली है लेकिन यह विभाग किसानों द्वारा बीज के बिल दिखाने के बावजूद विक्रेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता।

फसल की बिजाई से पूर्व किसानों को जानकारी देने के लिए कोई बड़ी मुहिम नहीं चलाई जाती। फिर भी कागजी करवाई में विभाग बहुत चुस्त-दुरुस्त नजर आता है। कृषि को संकट से निकालने के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह से नीतियां बनाई जानी चाहिए।

राजनैतिक या वोट बैंक की नजर से बनी नीतियां कृषि का भला नहीं कर सकती। कृषि के लिए बनाई जातीं समितियां व विभिन्न आयोग की रिपोर्ट तैयार करने पर करोड़ों रुपए तो खर्च होते ही हैं लेकिन अधिकतर रिपोर्टें तो शासकों द्वारा पढ़ी ही नहीं जाती या फिर राजनैतिक ऐलान पहले हो जाते है। बाद में कृषि विशेषज्ञों पर दबाव बनाया जाता है कि ऐलानों को पूरा करने के लिए नीतियां बनाई जाएं।

सरकार कृषि के लिए कृषि विशेषज्ञों से राय ले न कि अपने ऐलानों को कैसे न कैसे पूरा करने के लिए उन्हें कोई प्रबंध करने के लिए कहे। सरकार कृषि विशेषज्ञों की सेवाओं ले और उन्हें लागू करे। सरकार द्वारा कृषि माहिरों पर अपनी मनमर्जी की सलाह मांगने का रुझान ही कृषि के दर्दनाक संकट का परिणाम है। संतुलित व वैज्ञानिक नजरिए से बनी नीतियां ही कृषि के लिए लाभदायक साबित होंगी।

 

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।