अहम: गुलाबी सुंडी के प्रति बीटी कपास का प्रतिरोधक बीज नहीं हुआ तैयार
- वैज्ञानिकों ने 3जी, 4जी व 5जी बीटी बीजों का झांसा देने वालों से सावधान रहने की दी सलाह
सरसा (सच कहूँ/सुनील वर्मा)। Agriculture News: खरीफ फसलों में सफेद सोना के रूप में विख्यात कपास (नरमा) फसल की बिजाई का कार्य प्रगति पर है। खेत की तैयारी से लेकर बुवाई तक को लेकर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से एडवाइजरी जारी करते हुए बीटी कपास की बिजाई मध्य मई यानी 15 मई तक पूरी करने की सलाह दी गई है। वहीं बिजाई से खेत में पलेवा गहरा लगाने और बिजाई सुबह या शाम के समय करने का आह्वान किया। साथ ही पूर्व से पश्चिम की दिशा में कपास की बिजाई लाभकारी बताया।
उप कृषि निदेशक, कृषि विभाग डॉ. सुखदेव कंबोज ने बताया कि किसानों को अब देसी कपास की बिजाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उसका समय निकल चुका है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गुलाबी सुंडी के प्रति बीटी कपास का प्रतिरोधक बीज उपलब्ध नहीं है। अंत: 3 जी, 4जी व 5जी के नाम से आने वाले बीजों से सावधान रहें। विश्वविद्यालय की ओर से खरीफ 2024 के लिए बीटी कपास के विभिन्न कंपनी की 78 किस्मों की अनुशंसा की है, जिनमें अजीत सीड्स, अमर बायोटेक, अंकुर सीड्स, बायो सीड्स श्रीराम, ग्रीन गोल्ड सीड्स, कावेरी सीड्स, कोहिनूर सीड्स, महिको सीड्स,
कृषिधन सीड्स, नवकार हाइब्रिड सीड्स, नुजिवीडू सीड्स, प्रभात एग्री बायोटेक, प्रवर्धन सीड्स, रैलिस इंडिया, रासी सीड्स, सीड वर्क्स इंटरनेशनल, सेंथिल सीड्स, सोलर एग्रो व सुपर सीड्स कपंनी के बीज शामिल है। पिछले साल में सरसा जिले में सवा तीन लाख हेक्टेयर में कपास की फसल की बिजाई की गई थी। जबकि इस बार करीब 3 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। डॉ. कंबोज ने पिछले साल के मुकाबले इस फसल पर गुलाबी सुंडी के हमले के चलते कपास का रकबा घटने की संभावना जताई।
बिजाई के समय बरतें सावधानियां | Agriculture News
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक खेत की तैयारी सुबह या शाम को ही करें। खरपतवार के लिए स्टोंप 2 लीटर प्रति एकड़ का छिड़काव बिजाई के बाद व जमाव से पहले करें। बीटी कपास दो खूडों के बीच में मूंग (एमएच 421) के दो खुड लगा सकते है। इसके अलावा जो किसान टपका विधि से बीटी कपास की बिजाई करना चाहते हैं वह जब तक जमाव नहीं होता तब तक रोज 10 से 15 मिनट सुबह-शाम ड्रिप अवश्य चलाएं व जमाव के बाद हर चौथे दिन 30 से 35 मिनट ड्रिप चलाएं।
यह रखें सावधानियां
कृषि अधिकारियों का मानना है कि गुलाबी सुंडी बीटी नरमे के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में रहती है, इसलिए लकड़ी व बिनौलों का भंडारण किसान सावधानीपूर्वक करें। साथ में किसान अपने खेत में या आस-पास रखी गई पिछले साल की नरमा की लकड़ियों के टिंडे एंव पत्तों को झटका कर अलग कर दें एवं इक्कठे हुए कचरे को नष्ट कर दें। जिन किसानों ने अपने खेत में बीटी नरमा की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है या उनके खेत के आस-पास कपास की जिनिंग व बिनौले से तेल निकालने वाली मिल है, उन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप अधिक होता है।
शुरूआत में ज्यादा कीटनाशकों का न करें प्रयोग | Agriculture News
कपास की शुरूआती अवस्था में ज्यादा जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से मित्र कीटों की संख्या भी कम हो जाती है। विश्वविद्यालय की ओर से कपास की खेती के लिए हर 15 दिन में वैज्ञानिक सलाह जारी की जाती है। अत: उसके अनुसार ही सस्य क्रियाएं एवं कीटनाशकों का प्रयोग करें।
कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर कोऑर्डिनेटर डा. देवेंद्र जाखड़ ने बताया कि कपास बुवाई के दौरान किसान कृषि विश्वविद्यालय की एडवाइजरी का पालन करें। गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए किसान खेत में पहले से पड़ी बीटी नरमे की वनछटियों को खेत से हटा दें। शुरूआत में ही ज्यादा कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। Kisan News
‘गुलाबी सुंडी’ से ‘सफेद सोना’ बचाना किसानों के लिए चुनौती
सुखजीत मान (बठिंडा)। पंजाब-हरियाणा के किसानों का अब कपास की खेती की तरफ रुझान घट रहा है। कृषि विशेषज्ञों के अथाह प्रयासों के बावजूद भी कपास पर गुलाबी सूंडी का प्रकोप जारी है। कपास अधीन रकबे में वृद्धि करना सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है। इस समस्या से निपटने के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तीन राज्यों के कृषि विशेषज्ञ कई बैठकें कर चुके हैं, ताकि भूमिगत जल को बचाने के लिए कपास के रकबे को बढ़ाया जा सके।कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि कपास की बिजाई 15 मई तक निपटा देनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा देर होने पर फसलों की पैदावार कम होती है और रोग भी अधिक लगते हैं।
फसल को बचाने के लिए न केवल दुकानदार ही नहीं, बल्कि कृषि विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए। कपास की बिजाई नहरी पानी से की जाए तो सबसे बेहतर है। विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि चिट्टी मक्खी के फैलाव को रोकने के लिए बिजाई से पहले खाली स्थान, सड़कों के किनारों व नालों के किनारों इत्यादि से चिट्टी मक्खी व पत्ता मरोड़ बीमारी का फैलाव करने वाले नदीन जैसे कंघी घास, पीली घास, पुथाकंडा आदि को नष्ट कर दें। वहीं बैंगन की फसल पकने के बाद खेत से उखाड़कर नष्ट कर दें और कपास में खीरा, चप्पन कद्दू और तर इत्यादि की बिजाई न करें, क्योंकि इन पर पैदा होने वाली मक्खी कपास की फसल में फैल जाती है। Agriculture News
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