जयपुर (सच कहूं न्यूज)। श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर (SKN AGRICULTURE UNIVERSITY,JOBNER) के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा संध्याकालीन चौपाल का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से किसानों के समय का सदुपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा अगले वर्ष तक 15000 क्विंटल बीजोउत्पादन करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। Jaipur News
बीज श्रृंखला में नई किस्मों को लाकर किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य है। जौ, गेहूं, ग्वार, मूंगफली, बाजरा की बायो-फोर्टीफाइड किस्मों के विकास में विश्वविद्यालय अग्रणी है। साथ ही बलराज सिंह ने वर्षा जल संरक्षण मे जोबनेर क्षेत्र के किसानों की जागरुकता पर खुशी जताते हुए कहा कि जल संरक्षण के साथ ही कम जल आवश्यकता वाली फसलें उगानी चाहिए। सिंह ने पर्यावरण को बचाने के लिए वृहद स्तर पर नीम, जामुन, सैंजना के पौधारोपण करने तथा गाजरघास की समस्या पर चिंता जताते हुए खेतों को इससे मुक्त करने का आह्वान किया।
रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का अधिक प्रयोग कर रहा मिट्टी का स्वास्थ्य खराब
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुदेश कुमार ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रो पर कुल 24 संध्याकालीन चौपाल कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इनमें किसानों को खरीफ की नवीनतम फसलोंत्पादन तकनीक, पशुपालन एवं बागवानी की नवीनतम तकनीकियों की जानकारी दी गई। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा ग्वार, बाजरा, मूंगफली तथा जौ, गेहूं, चना की विकसित की गई किस्मों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। Jaipur News
डेयरी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. महेशदत्त ने पशुपालन को लाभप्रद बनाने के लिए उन्नत नस्लों के पशु पालने, उनका संतुलित आहार प्रबंधन, आवास योजना तथा समय पर टीकाकरण करवाने की सलाह दी। शस्य विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. लालाराम यादव ने खरीफ फसलों की बुवाई पूर्व बीज उपचार करने, संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग, खरपतवार प्रबंधन की वैज्ञानिक जानकारी दी। पौध व्याधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेश गोदिका ने खरीफ व दलहनी फसलों में जड़ गलन रोग की रोकथाम के लिए बीज उपचार तथा ट्राइकोडर्मा मित्र फफूंद के प्रयोग को प्राथमिक रूप से करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही मूंगफली में टिक्का रोग, बाजार में अर्गट रोग, हरित बाली रोग, स्मट रोग तथा दलहनी फसलों में जीवाणु जनित रोगों की रोकथाम के उपाय बताए।
जैविक कीटनाशीयों के प्रयोग को बढ़ावा देने की जरूरत
इफको अधिकारी डॉ. एपी सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा अधिक उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग करने से मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। खेत को उपजाऊ बनाने के लिए जमीन में सूक्ष्म जीवाणुओं की पर्याप्त संख्या बनाए रखने के लिए रसायनों का प्रयोग कम करते हुए जैविक उर्वरकों तथा जैविक कीटनाशीयों के प्रयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
कोर्टेवा एग्री साइंस से डॉ. आर.एस. पांडे ने किसानों को सैटेलाइट आधारित मानवरहित मशीनरी संचालन तथा मैकेनाइज्ड फार्मिंग तकनीकी से बीज उत्पादन की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही कंपनी द्वारा ग्राम समृद्धि केंद्र पर सेटेलाइट के माध्यम से खेत में बीमारी का पता लगाने जैसी तकनीकों की जानकारी दी। प्रगतिशील पशुपालक सुरेंद्र अवाना ने कृषि विश्वविद्यालय को कृषि तकनीक का खजाना बताते हुए कहा कि किसानों को उत्पाद बिक्री की समस्या से बचने के लिए मूल्य-संवर्धन तथा प्रोसेसिंग करने के लिए प्रेरित किया।
पशुपालक किसानों से खेत की मेड़ पर बहुवर्षीय चारे के पेड़ लगाने तथा पर्यावरण को बचाने के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित किया। प्रगतिशील कृषक खेमाराम महरिया ने भी किसानों को घटते जल स्तर को ध्यान में रखते हुए परंपरागत खेती की बजाय संरक्षित खेती करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन सह अधिष्ठाता डॉ. शैलेश मार्कर ने किया। अंत में अधिष्ठाता डॉ. एम.आर. चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। Jaipur News
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