बोले : फैसले के लिए पंच भी वही होंगें मंच भी वही होगा
सच कहूँ/ देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि वे रोटी को बाजार की वस्तु नही बनने देंगे और अन्न को तिजौरी में बंद नहीं होने देंगे। केंद्र सरकार द्वारा जो तीन कृषि कानून बनाये गए हैं। आगे ऐसा समय आ जायेगा कि गरीब तो क्या बंदर भी भूखा मरेगा। वे मंगलवार को पिहोवा के गांव गुमथला गढू की अनाज मंडी में किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे।
महापंचायत मे राकेश टिकैत केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ खूब गरजे। टिकैत ने साफ किया कि फैसले के लिए पंच भी वहीं होंगें व मंच भी वही होगा। इस मौके पर उनके साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह, उपप्रधान व कंडेला खाप के अध्यक्ष टेकराम कंडेला, हरेंद्र लखोवाल सहित अन्य वरिष्ठ किसान नेता मौजूद रहे।
राकेश टिकैत ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने किसान की पगड़ी पर हाथ डालने की कोशिश की है। कुरुक्षेत्र की धरती क्रांति की धरती रही है और अब फिर क्रांति लाने का समय है। 77 दिनों से देश का अन्नदाता दिल्ली के बोर्डर पर बैठा है, लेकिन केन्द्र की भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नही रेंगी। सरकार हर बार देश को तोड़ने का काम करती है, कभी हिंदू मुस्लमान के नाम पर जनता को लड़वाती है तो कभी धर्म के नाम पर।
अब किसान आंदोलन को छोटे किसान व बड़े किसानों के नाम पर तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार द्वारा किसान आंदोलन को तोड़ने की साजिस रची जा रही हैं। टिकैत ने किसानों से आह्वान किया कि वे सरकार कि किसी बात में न आएं व एकजुट होकर अपनी लडाई को लडें। राकेश टिकैत ने मंच से सरकार पर वार करते हुए कहा कि जब एमपी व एमएलए की तनख्वाह 500 गुना तक बढ चुकी है तो किसानों की क्यों नही बढाई गई। आज किसान जो इतना कर्जदार हो गया है इसकी दोषी सिर्फ सरकारें हैं। अब किसान के जागने का समय आ चुका है अब किसान अपना हक लेकर रहेगा।
बोले : दिल्ली में संख्या कम हो गई, इसे बढ़ाओ
राकेश टिकैत ने मंच से ही किसानों से आग्रह किया कि दिल्ली में किसानों की संख्या घट गई है, इसलिए सभी किसान दिल्ली मेंं हाजरी लगवाएं। जो ट्रेक्टर 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए दिल्ली गए थे, वे ट्रेक्टर वापिस आ गए हैं। अब किसानों को अपने खेतों में भी ड्यूटी देनी है और दिल्ली में भी ड्यूटी देनी है। उन्होंने कहा कि किसानों का एक पैर अपने खेत में व एक पैर दिल्ली के बॉर्डर पर होना चाहिए। सभी गांवों में ड्यूटियां लगाई जाएं, ताकि ज्यादा संख्या में किसान दिल्ली जा सकें।
चंदा मांगने आएंगें, नहीं देना कुछ
राकेश टिकैत ने बातों-बातों में कहा कि बहुत लोग आपके पास चंदा मांगने के लिए आएंगे, लेकिन किसी को भी चंदा नहीं देना है। कुछ लोगों का काम नोट इकट्ठा करने का है, लेकिन किसी ने भी किसी को पैसे नहीं देने हैं। टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन लस्सी, दाल व रोटी का आंदोलन है। किसानों ने सिर्फ आंदोलन के लिए व्यवस्था बना कर रखनी है।
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