मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने गांव गुमजाल में लगाया पक्का मोर्चा

राजस्थान से पंजाब को प्रवेश करने वाली सड़क को किया बिल्कुल बंद

अबोहर। (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा) बागों व नरमे की बर्बाद हुई फसल की मुआवजे की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन राजेवाल द्वारा पंजाब-राजस्थान की सीमा पर सटे गांव गुमजाल पर पक्का मोर्चा लगा दिया है। किसानों ने राजस्थान से पंजाब को प्रवेश करने वाली सड़क को बिलकुल बंद कर दिया है। किसानों द्वारा केवल एंबुलेंस व सेना को आने जाने की छूट दी जा रही है। किसानों द्वारा सड़क को बंद कर देने से पंजाब से राजस्थान जाने वाले व राजस्थान से पंजाब आने वाले लोगों के लिए भारी मुसीबत खड़ी हो गई है। भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के जिला प्रधान सुखमंदर सिंह ने बताया कि इस बार मार्च-अप्रैल महीने में पड़ी गर्मी के कारण 80 से अधिक फीसदी बागों की फसल नष्ट हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 34 हजार हेक्टेयर रकबे का बागों के अधीन है।

बागवानों का कहना है कि प्रति एकड़ करीब दो लाख की फसल प्रति एकड़ होनी थी यानि उनका करीब एक लाख 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि यहीं कारण है किसान कुदरती आपदाओं के कारण कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है। बागवानों ने कहा कि बागों पर ऐसी आपदा पहली बार ही पड़ी है। शेर सिंह, बलवीर सिंह, महिंदर कुमार, कुलवंत सिंह, नरिंदर कुमार, बलराज सिंह व सुखजिंदर सिंह ने बताया कि मार्च-अप्रैल महीने में बागों पर फूल व किन्नू लग चुके थे व इस बार बंपर फसल थी लेकिन इस दौरान पड़ी भीषण गर्मी के कारण के इन सभी की ड्रापिंग हो गई, जिससे 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई। किसान नेता सुशील सियाग ढींगा वाली ने बताया कि पिछले तीन सीजन से किन्नू घाटे का सौदा बना हुआ है क्योंकि 2019-20 के अंदर लॉकडाउन से बहुत नुकसान हुआ और किन्नू रुल गया।

2020-21 के अंदर भी भाव बिल्कुल कम थे। 2021-22 में उपज नाममात्र होने से किसान के हाथ खाली रहे। अब इस बार सीजन के शुरुआत में ही प्रकृतिक आपदा तेज गर्मी से लगभग फूलों पे ही फसल तबाह हो गई। किसान नेता धनपत सियाग ने कहा कि बागवानों की मांग के बावजूद सरकार ने अभी तक नुकसान की गिरदावरी तक नहीं करवाई। गौर हो कि किसानों ने सिंघू बार्डर की तरह यहां पक्का मोर्चा लगा दिया गया है व किसानों का धरना दिन-रात जारी रहेगा। चाय लंगर की यहां ही व्यवस्था की गई है। सड़क पर बड़ा टेंट लगा दिया गया है। उधर, दिनभर प्रशासनिक अधिकारी किसानों से बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश में लगे रहे लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े हुए है कि अब लॉलीपाप से काम नहीं चलेगा।

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