निशाना : कोरोना काल में धरतीपुत्रों पर आई बड़ी मुसीबत, विपक्षी पार्टी ने भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को घेरा
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सरकार से स्पेशल गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा देने की मांग
अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। उखेड़ा और सफेद मक्खी की बीमारी ने प्रदेशभर में नरमा की फसल को बर्बाद कर दिया है। इससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। इसलिए सरकार को बिना देरी के स्पेशल गिरदावरी करवाकर सभी प्रभावित किसानों को कम से कम 30 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा देना चाहिए। ये मांग पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उठाई। उनका कहना है कि किसान कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपनी तरफ से सारी लागत लगा चुके थे, लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही बीमारी की चपेट में आ गई। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो किसान को उचित मुआवजा दे। हुड्डा ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है, जिसने कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी देश को अन्न, सब्जी और दूध की कमी महसूस नहीं होने दी।
- ऐसे में आज अगर उसकी फसल को नुकसान होता है
- सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो उसके जख्मों पर मरहम लगाए।
पिछला मुआवजा अभी तक नहीं मिला
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल असमय हुई ओलावृष्टि से प्रदेश के कई जिलों में रबी की फसल खराब हो गई थी। उसका मुआवजा भी किसानों को अब तक नहीं मिला है। मुआवजा बांटने का काम अधिकारियों की लापरवाही के चलते लंबे समय से अटका हुआ है। सरकार को इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और किसानों को जल्दी राहत पहुंचानी चाहिए। कभी बीमारी, कभी टिड्डी दल तो कभी बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि लगातार किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं लेकिन उन्हें मुआवजे के नाम पर सिर्फ लंबा इंतजार ही मिलता है।
बीमा कंपनियां मालामाल, किसान हो रहे कंगाल
हुड्डा ने कहा कि किसान कंगाल हो रहे हैं और सरकार प्राइवेट बीमा कंपनियों को मालामाल करने में लगी है। यही वजह है कि बढ़ती खेती लागत और महंगाई के बावजूद प्रधानमंत्री फसल बीमा की प्रीमियम राशि में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई। कपास के प्रीमियम में सरकार ने इस बार एकदम से अढ़ाई गुणा बढ़ोत्तरी कर दी है। एक तरफ महंगाई की मार तो दूसरी तरफ घोटालों की। किसान के साथ एक के बाद एक धान खरीद, चावल, सरसों और बाजरा खरीद जैसे घोटाले हो रहे हैं। जो करोड़ों रुपया किसान हित में खर्च होना चाहिए था, उसे घोटालेबाज डकार रहे हैं।
- सरकारी नीतियों और रवैये की चौतरफा मार किसान पर पड़ रही है।
- रही सही कसर केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए 3 कृषि अध्यादेशों ने पूरी कर दी।
- अगर ये अध्यादेश बिना एमएसपी (स्वामीनाथन रिपोर्ट सी2 फार्मूले की तरह) लागू होते हैं।
- किसान अपनी ही जमीन पर एक नौकर बनकर रह जाएगा।
- बड़ी-बड़ी कंपनियां उसे अपना मोहताज बना लेंगी।
- इन तीन अध्यादेशों का मकसद सिर्फ मंडी व्यवस्था और एमएसपी को खत्म करना है।
किसानों के मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि अगर किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार नहीं जागी तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी। किसानों, कर्मचारियों, युवाओं, छोटे दुकानदार और व्यापारियों से जुड़े मुद्दों को हम मौजूदा विधानसभा सत्र में भी उठाना चाहते थे। लेकिन सरकार ने मानसून सत्र को महज औपचारिकता में बदल दिया। लेकिन कांग्रेस सभी वर्गों के अधिकारों के लिए सिर्फ सदन में ही नहीं, सड़कों पर भी लड़ाई लड़ेगी और सरकार को झुकने पर विवश कर देगी।
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