उदयपुर। वेदांता समूह की सबसे बड़ी कंपनी हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना से जुड कर उन्नत तकनीक से जहां पैदावार में बढोतरी हुई है वहीं युवा किसान भी कृषि की और आकर्षित हुए है। परंपरागत खेती में गेहूं, मक्का, बाजरा और सोयाबिन, चना की पैदावार के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीज और खाद के साथ उच्च तकनीक के समावेश से उत्पादन में वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर आधुनिक तकनीक से हाइवेल्यू सब्जियां और फल उत्पादन से आमदनी में बढ़ोतरी हुई है।
कृषि तकनीकी केन्द्र एमपीयूएटी उदयपुर के प्रभारी डाॅ इन्द्रजीत माथुर का कहना है कि समाधान, संस्टेनेबल एग्रीकल्चर मेनेजमेन्ट एवं डव्हलपमेन्ट बाय हयूमन नेचर परियोजना, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के सीएसआर विभाग एवं बायफ इंस्टीट्यूट फाॅर संस्टेनेबल लाईवलीहुडस एण्ड डेव्हलपमेन्ट के सयुक्त तत्वाधान में राजस्थान के पांच जिलों उदयपुर, राजसमन्द, चित्तौडगढ, भीलवाडा एवं अजमेर के 174 गांवों में संचालित की जा रही हैं। जिसमें कृषि एवं पशुपालन की नवीनतम प्रौधोगिकी का उपयोग किसानों की आय बढाने एवं आजीविकावर्धन हेतु किया जा रहा है। परियोजना के अन्तर्गत क्षेत्र के 30 हजार कृषक परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है।
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