Farmers Protest: किसानों-मजदूरों ने जिला कलक्ट्रेट समक्ष किया प्रदर्शन

Farmers Protest
Farmers Protest: किसानों-मजदूरों ने जिला कलक्ट्रेट समक्ष किया प्रदर्शन

राष्ट्रपति के नाम जिला कलक्टर को सौंपा 12 सूत्री मांगपत्र

हनुमानगढ़। तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ महासंघर्ष की चौथी वर्षगांठ को विरोध दिवस के रूप में मनाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों व मजदूरों ने मंगलवार को पूर्व घोषणानुसार जिला कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन कर अपनी मांगें उठाईं। प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम जिला कलक्टर को 12 सूत्री मांगपत्र सौंपा। Farmers Protest

इससे पहले प्रदर्शन स्थल पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि 2020 में ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी और किसानों ने तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ संसद की ओर अपना ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था। किसानों के लंबे संघर्ष के बाद जब कृषि कानून वापस लिए गए थे, तब किसानों से किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। लगातार चली आ रही एनडीए की इस तीसरी सरकार की नीतियों से भारत के मेहनतकश लोगों को गहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है। इनका उद्देश्य कॉरपोरेट और अति अमीरों को समृद्ध करना है।

केन्द्र सरकार पिछले साल खरीदी गई फसल को मंडियों से उठाने में विफल रही

इससे पहले कम से कम पंजाब और हरियाणा में धान और गेहूं की खरीद हो जाती थी। लेकिन केन्द्र सरकार पिछले साल खरीदी गई फसल को मंडियों से उठाने में विफल रही। इससे इस साल मंडियों में जगह की कमी के कारण धान की खरीद ठप हो गई। किसान अपने आधे अधूरे एमएसपी, एपीएमसी मंडियों, एफसीआई और राशन प्रणाली आपूर्ति को बचाने के लिए फिर से सडक़ों पर उतरने को मजबूर है। खेती में लगातार घाटा बढऩे से किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और उनकी खेती से बेदखली बढ़ती जा रही है। केन्द्र सरकार की ओर से लगाए जा रहे चार श्रम कोड न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षित रोजगार, उचित कार्य समय और यूनियन बनाने के अधिकार की किसी भी गारंटी को खत्म करते हैं।

कॉरपोरेट कंपनियां बिजली के स्मार्ट मीटर, मोबाइल नेटवर्क के उच्च रिचार्ज शुल्क, बढ़ते टोल शुल्क, रसोई गैस व डीजल एवं पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और जीएसटी के विस्तार के माध्यम से मोटी कमाई कर रही हैं। इसके विपरीत, कामकाजी लोग किसान, औद्योगिक एवं खेत मजदूर और मध्यम वर्ग कर्ज के बोझ मे दबा जा रहा है। भूमिहीनों को जीवनयापन के लिए उच्च ब्याज दरों पर स्वयं सहायता समूहों से कर्जा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इन मांगों को लेकर बार-बार विरोध के बावजूद सरकार जवाब देने में विफल रही है। इसलिए तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ महासंघर्ष की चौथी वर्षगांठ पर एक बार फिर अपनी मांगों को उठाने के लिए देशभर के जिलों में किसानों, ग्रामीण गरीब और औद्योगिक मजदूरों की बड़े पैमाने पर लामबंदी का यह निर्णय लिया गया है।

राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कई मांग की गई

राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ एमएसपी, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, ऋणग्रस्तता और किसान आत्महत्या को समाप्त करने के लिए व्यापक कर्जमुक्ति, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण बंद करने, अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को समाप्त, फसलों और मवेशियों के लिए व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना, काश्तकारों के लिए फसल बीमा एवं सभी बाकी सभी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित, सार्वजनिक संपत्ति के निगमीकरण और लोगों को विभाजित करने के लिए विभाजनकारी नीतियों के उद्देश्य से कॉरपोरेट-साम्प्रदायिक नीतियों को खत्म करने, महिला सशक्तिकरण और फास्ट ट्रैक न्यायिक प्रणाली के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने आदि की मांग की गई।

ज्ञापन के जरिए मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने की मांग की गई। इस मौके पर रघुवीर वर्मा, सरपंच बलदेव सिंह, आत्मासिंह, बहादुर सिंह चौहान आदि मौजूद रहे। Farmers Protest

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