खुद आ रहे बीमा कराने: खट्टर (Prime Minister Crop Insurance )
चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance) से प्रदेश के किसान संतुष्ट हैं तथा वे स्वयं अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन कुछ राजनेता बीमा योजना को लेकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं।
खट्टर ने विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायिक श्रीमती किरण चौधरी के एक सवाल पर अपने जबाव में यह बात कही। उन्होंने कहा कि तीन कम्पनियों को फसल बीमा करने का कार्य सौंपा गया है तथा यह कार्य निविदा के माध्यम से इन्हें आवंटित किया गया है। पूरे प्रदेश को चार कलस्टरों में बांटा गया है और हर कलस्टर की फसल के अनुसार अलग-अलग प्रीमियम है। पहले क्लस्टर में यह 10.96 प्रतिशत है, दूसरे में 8.11 प्रतिशत, तीसरे और चौथे में 8.49 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों ने अपनी भौगोलिक स्थिति के अनुसार कलस्टर बनाए हैं। राजस्थान ने 12 कलस्टर बनाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीमा कम्पनियां मुफ्त में नहीं बल्कि लाभ के लिए ही काम करती हैं। हर वर्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ने से निविदा की दरों में अंतर आ जाता है।
उन्होंने बताया कि दावों का निपटान पूरा बीमित राशि के अनुसार नहीं दिया जाता है। दावे का भुगताान फसलों के नुकसान का आंकलन करके दिया जाता है। उन्होंने सदन को बताया कि कुछ किसानों को इतना तक पता ही नहीं कि उन्होंने अपनी फसलों का बीमा कराया लेकिन उनके खातों में दावे का पैसा आया। इसे देखते हुए किसान स्वयं बीमा कराने के लिए आगे आ रहे हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने श्रीमती चौधरी के इसी सवाल पर आगे कहा कि अब तक 2089 करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप में जमा हुए थे जबकि 2989 करोड़ रुपए के दावों का किसानों को भुगतान किया गया। इस प्रकार किसानों को 900 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ हुआ। उन्होंने बताया कि गत वर्ष खरीफ 2019 तथा रबी 2019-20 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भिवानी जिले के 14,675 किसानों ने बीमा दावे दायर किए थे जिनमें से 13452 किसानों के दावे सही पाए गए थे और 1223 किसानों के आवेदन सही नहीं थे। इनमें से 514 आवेदन बैंक खातों या बीमा कम्पनियों के खातों से मिलान सही न होने के कारण लम्बित हैं। उन्होंने कहा कि भिवानी जिले में 103 प्रतिशत से अधिक का क्लेम दिया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि खरीफ 2018 में बीमा कम्पनियों को राज्य में क्लेम देरी से देने के कारण 34.92 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
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