सरसा/चौपटा (सच कहूँ/भगत सिंह)। Saunf Ki Kheti: राजस्थान सीमा से सटे सरसा जिले के गांव जोड़कियां के खेतों में इन दिनों ‘समृद्धि’ की महक है। गांव के किसान सतबीर देहडू ने परपरांगत फसलों का मोह छोड़कर अपने खेत में सौंफ उगाने की पहल की। सौंफ जैसे औषधीय पौधे की खेती ने सतबीर को समृद्धि की राह दिखाई तो गांव के दूसरे किसानों ने भी अपने खेतों में इस अद्भूत फसल को बोना शुरू कर दिया। सौंफ फसल की खास बात यह भी है कि खेत से एक से दो किलोमीटर दूर तक भी इसकी सौंधी सौंधी महक से पूरा वातावरण महकता रहता है। सौंफ की इस फसल की एक और खास बात यह है कि इसे न तो खाद-स्प्रे की जरूरत होती है और न ही आवारा पशु, नीलगाय इत्यादि इसके पौधों को खाते हैं, जिस कारण यह फसल दोहरे फायदे वाला सौदा साबित हो रही है। Kisan News
किसान सतबीर देहडू ने विशेष बातचीत में बताया कि वह डेढ़ एकड़ में आर्गेनिक सौंफ की खेती करके लाखों रुपए कमा रहा है। इस बार उसने सौंफ की फसल से 1 एकड़ में 13 से 20 क्विंटल की पैदावार ली। उन्होंने बताया कि पहले तो सौंफ को बेचने के लिए खरीददार ढूंढ़ने पड़ते थे परंतु अब तो साथ लगते राजस्थान की नोहर तहसील में सौंफ आसानी से बिक जाती है। Kisan News
सतबीर देहडू की इस अनोखी खेती की पहल को देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी परंपरागत फसलों का मोह त्यागकर सौंफ की खेती करने की पहल की है। गांव के किसान हनुमान श्योराण व हरी सिंह जलंधरा ने डेढ़ डेढ़ एकड़, बलवंत हालु 1 एकड़, मोहन लाल छापौला व दीप सिंह सिहाग ने आधा आधा एकड़ में सौंफ की खेती करने शुरूआत कर दी है। इस किसानों को बीज भी किसान सतबीर देहडू ने ही उपलब्ध करवाएं है, जो उन्होेंने खुद तैयार किए थे। सतबीर देहडू ने बताया कि शहर में सौंफ के बीज का भाव 2 हजार रुपए प्रति किलो है।
150 से 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती है फसल, अप्रैल में होती है कटाई
किसान सतबीर ने बताया कि सौंफ की फसल का बुआई का समय 20 अक्टूबर से 20 नवम्बर के बीच होता है। 1 एकड़ में लगभग 800 ग्राम बीज की आवश्यता होती है। इस फसल को पककर तैयार होने में लगभग 150-180 दिन का समय लगता है। उन्होंने बताया कि सौंफ की खेती के लिए मीेठे पानी की आवश्यकता होती है। ये फसल तीन सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है। एक एकड़ में लगभग 13से 20 क्विंटल तक फसल हो जाती है और इसका बाजार भाव 13 से 19 हजार रुपए प्रति क्विंटल आमतौर पर रहता है। इसकी कटाई अप्रैल के अंत में होती है।
पारंपरिक खेती के साथ औषधीय पौधों की खेती भी करें किसान | Kisan News
किसान सतबीर देहडू का कहना है कि हर किसान परंपरागत फसलों के साथ साथ औषधीय पौधों की खेती करें तो वो अच्छा मुनाफा कमा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके खेत में उगे सौंफ के पौधे छह से सात फुट तक ऊंचाई के हैं। जब फसल पक जाती है तो सौंफ की सुगंध वातावरण में चारों ओर फैल जाती है। इस अनूठी फसल ने उसे निहाल कर दिया है और वो दूसरे किसानों को भी इसे बोने के लिए प्रेरित कर रहा है।
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