परम्परागत खेती छोड़ नेट फार्मिंग व बागवानी से बढ़ाई कमाई
धमतान साहिब (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। कहते हैं जब कोई कार्य जुनून में बदल जाए तो फिर उस कार्य में सफलता मिलना लाजमी है। ऐसा ही एक उदाहरण हैं जीन्द जिले के धरौदी गाँव के संजय पुनिया का। संजय पुनिया को पीढ़ियों से चली आ रही परम्परागत खेती को करते हुए काफी साल गुजर गए थे। लेकिन वो आमदन नहीं हो रही थी, जो उनकी मेहनत के हिसाब से होनी चाहिए थी। कई बार तो धान, गेंहू, कपास की फसल से लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता था। फिर परम्परागत खेती को छोड़कर संजय ने नेट फार्मिंग व बागवानी करने की सोची। उन्होंने पहले एक-दो एकड़ से शुरूआत की और जब उन्हें इसमें मुनाफा मिलना शुरू हुआ तो धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए।
शुरू में आई परेशानियां
शुरूआत में थोड़ी बहुत परेशानियां भी आई, लेकिन धीरे-धीरे अनुभव बढ़ता गया और परेशानियां घटती चली गई। आज 24 एकड़ जमीन में से उन्होंने 8 एकड़ में अमरूद का बाग लगाया हुआ है। 6 एकड़ में नेट हाउस है और 10 एकड़ में अन्य सब्जियां उगाते है। संजय अब अपने खेत में घीया, करेला, रंग-बिरंगी शिमला मिर्च, खीरा, गाजर, मूली, तरबूज, खरबूजा, अमरूद सब कुछ उगाता है व अच्छी आमदन कमा रहा है।
ड्रिप सिस्टम से होती है सिंचाई
संजय पुनिया ने बताया कि नेट फार्मिंग में शुरूआत में सिंचाई की समस्या थी, लेकिन फिर मैंने अपने खेत में पानी का टैंक बनवाया और उसमें नहर व बरसाती पानी इकठा किया और फिर ड्रिप सिस्टम से सारे खेत में सिंचाई करने लगा, जिसका मुझे बहुत फायदा हुआ। इसके अलावा हमने पानी निकासी की भी उचित व्यवस्था कर रखी है, ताकि सब्जियों में ज्यादा पानी जमा होने के कारण वो खराब ना हो। अतिरिक्त पानी को हम टैंक में वापिस इकट्ठा कर लेते हैं
प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख तक आमदन
संजय ने बताया कि किसान भाई परंपरागत खेती को छोड़ सब्जियों व बागवानी की ओर बढ़ें। कई बार थोड़ी मुश्किल आने पर किसान इससे पीछे हटने लगते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। आप सही जानकारी प्राप्त करके लगातार नेट फार्मिंग करके देखिए, सीखते जाएंगे और कामयाब होते जाएंगे। पहले मुझे 6 महीने में एक बार आमदन होती थी, लेकिन अब नेट फार्मिंग व बागवानी से प्रतिदिन आमदन होने लगी है। प्रति एकड़ औसतन 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक हर साल आमदन होती है।
दूसरों के लिए भी आय का बनें जरिया
इसके साथ ही गाँव के लोगों को नेट फार्मिंग से रोजगार भी मिल रहा है। प्रतिदिन 40-50 महिला व पुरूष यहां पर काम करने आते हैं। सीजन में काम बढ़ने पर कई बार आस-पास के गाँव से भी मजदूर लेकर आने पड़ते हैं।
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