गाजीपुर-सिंघु बॉर्डर पर बढ़ी हलचल, पुलिस ने किसानों से सड़क खाली करने को कहा

Kisan-Protest

किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस एक्शन मोड़ पर आ गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली और यूपी पुलिस पहुंच गई है। पुलिस ने बॉर्डर पर मौजूद किसानों से सड़क खाली करने को कहा गया है। बॉर्डर पर रोडवेज बस आ गई है।

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली में शामिल आंदोलनकारियों के साथ झड़प में घायल हुए पुलिसकर्मियों से आज अस्तपाल जाकर मिले। शाह वीरवार को दिन में तीर्थराम अस्पताल और सुश्रुत ट्रामा सेंटर गए और वहां उपचार करा रहे घायल पुलिसकर्मियों से मिले। गृह मंत्री ने खुद ट्विट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘घायल पुलिसकर्मियों से मिल रहा हूं। हमें उनकी बहादुरी तथा धैर्य पर गर्व है।  उन्होंने ट्विट के साथ अस्पताल दौरे की अपनी तस्वीर भी साझा की है। शाह ने इस दौरान घायल पुलिसकर्मियों से बात की और उनका हाल चाल तथा घटना के बारे में बात की।

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उन्होंने डाक्टरों से भी घायलों के उपचार के बारे में बात की। वह अपने साथ घायलों के लिए फल भी लेकर गए थे। उल्लेखनीय है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान आंदोलनकारियों के साथ झड़प में 200 से भी अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। उन्हें उपचार के लिए दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। शाह के साथ केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला तथा दिल्ली पुलिस के आयुक्त एन एन श्रीवास्तव भी थे।

  • योगेन्द्र यादव समेत 20 अन्य नेताओं को नोटिस

तीन नए कृृषि कानूनों के विरोध में धरना प्रदर्शन दिल्ली सीमा पर जारी है। लेकिन गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा में अब ये आंदोलन कमजोर दिखाई पड़ता नजर आ रहा है। दो किसान नेताओं ने कल ही धरना खत्म कर दिया है। उधर दिल्ली पुलिस ने हिंसा मामले में कार्रवाई करते हुए योगेन्द्र यादव समेत 20 अन्य नेताओं को नोटिस जारी कर दिया है। उन्हें 3 दिन के भीतर जवाब देना होगा। इस बीच दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि एनएच-24 खोल दिया गया है जिससे दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाला रूट बहाल हो गया है।

जानें, किन किसान नेताओं पर हुआ केस दर्ज

गणतंत्र दिवस के दिन किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में जिन 37 नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उनमें डॉक्टर दर्शन पाल (बीकेयू क्रांतिकारी दर्शनFarmer movement weakened due to tractor parade violence

पाल ग्रुप), कुलवंत सिंह संधू (जम्हूरी किसान सभा पंजाब), बूटा सिंह बुर्जगिल (भारतीय किसान सभा, धकोंडा), निर्भय सिंह धुड़ीके (कीर्ति किसान यूनियन, धुड़ीके ग्रुप), रुल्दू सिंह (पंजाब किसान यनियन, रुल्दू ग्रुप), इंदरजीत सिंह, किसान संघर्ष कमेटी (कोट बुद्धा ग्रुप), हरजिंदरसिंह टांडा (आजाद किसान संघर्ष कमेटी), गुरबख्श सिंह (जय किसान आंदोलन), सतनाम सिंह पन्नू, किसान मजदूर संघर्ष समिति,(पिड्डी ग्रुप)’ कंवलप्रीत सिंह पन्नू (किसान संघर्ष कमेटी पंजाब), जोगिंदर सिंह उग्राहा (भारतीय किसान यूनियन उग्राहां), सुरजीत सिंह फूल (भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी), जगजीत सिंह डालेवाल (भारतीय किसान यूनियन, सिद्धूपुर), हरमीत सिंह कड़ियां (बीकेयू, कड़ियां)।

ट्रैक्टर परेड हिंसा से किसान आंदोलन हुआ कमजोर?

बलबीर सिंह राजेवाल (भारतीय किसान यूनियन राजेवाल), सतनाम सिंह साहनी( भारतीय किसान यूनियन, दोआबा), बोघ सिंह मानसा (भारतीय किसान यूनियन, मानसा), बलविंदर सिंह औलख (माझा किसान कमेटी), सतनाम सिंह बेहरू( इंडियन फार्मर एसोसिएशन), बूटा सिंह शादीपुर (भारतीय किसान मंच), बलदेव सिंह सिरसा (लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी), जगबीर सिंह जाड़ा (दोआबा किसान समिति), मुकेश चंद्रा (दोआबा किसान संघर्ष कमेटी), सुखपाल सिंह डफ्फर (गन्ना संघर्ष कमेटी), हरपाल सिंह सांघा (आजाद किसान कमेटी दोआब), कृपाल सिंह नाथूवाला( किसान बचाओ मोर्चा), हरिंदर सिंह लाखोवाल (भारतीय किसान यूनियन लाखोवाल)।

प्रेम सिंह भंगू (कुलहिंद किसन फेडरेशन), गुरनाम सिंह चडूनी (भारतीय किसान यूनियन चडूनी), राकेश टिकैत (भारतीय किसान यूनियन), कविता कुमगुटी (महिला किसान अधिकार मंच), रिषिपाल अंबावाटा (भारतीय किसान यूनियन अंबावाटा), वीएम सिंह (आल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी), मेधा पाटेकर ( नर्मदा बचाओ), योगेंद्र यादव( स्वराज इंडिया), अवीक साहा (जन किसान आंदोलनस्वराज इंडिया) तथा प्रेम सिंह गहलोत (आल इंडिया किसान सभा) शामिल हैं।

किसान संगठनों ने शांति बनाकर रैली आयोजित करने की जिम्मेदारी ली थी लेकिन किसान नेताओं ने नियम शर्तों को नहीं माना जिसके कारण राजधानी में कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई। पुलिस ने अधिकतम संयम का परिचय देकर जिम्मेदार पुलिस की भूमिका को निभाया।

बागपत में किसानों का धरना 40 वें दिन खत्म

उत्तर प्रदेश में बागपत के बड़ौत में दिल्ली किसान आंदोलन के समर्थन में चल रहा किसानों का धरना बुधवार देर रात में प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हो गया। किसानों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने उनका धरना जबरदस्ती खत्म कराया है। पुलिस ने थाम्बा चौधरी बृजपाल सिंह को हिरासत में भी लिया है। विश्वस्त सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि लालकिले पर हुई हिंसा के बाद बुधवार को अपर जिलाधिकारी अमित कुमार ने बड़ौत तहसील में धरनारत किसान नेताओं के साथ बैठक की। उन्होंने किसानों से दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर चल रहे धरने को समाप्त करने को कहा। किसानों का कहना था कि धरना कानून वापसी तक जारी रहेगा।

बुधवार आधी रात के बाद अचानक पुलिस और प्रशासन की टीम धरना स्थल पर पहुंची और किसानों को तत्काल धरना खत्म करने के लिए कहा, जिस पर किसानों ने धरना खत्म करने से इंकार कर दिया, जिसको लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की किसानों से तीखी नोंकझोंक भी हुई। इसके बाद पुलिस ने किसानों पर हल्का बल प्रयोग कर खदेड़ दिया। कुमार ने बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी का एक्सप्रेस वे का काम रुका हुआ है ,किसानों को हटाने के लिए कहा गया था। इसके बाद उन्होंने शांतिपूर्वक तरीके से किसानों को हटा दिया है। अपर जिलाधिकारी ने बताया कि एक वृद्ध किसान कुछ मंदबुद्धि का था, जिन्हें एंबुलेंस से उनके घर भेजा गया है। उन्होंने बताया कि किसानों को हटाने के लिए किसी भी तरह का बल प्रयोग नही किया है।

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