होशियारपुर (सच कहूँ/मनदीप सिंह)। मंजिल उसी को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां सच साबित की हैं 70 प्रतिशत पैरालाइज के शिकार प्रगतिशील किसान करनैल सिंह ने। अपनी कमजोरी की परवाह न करते हुए होशियारपुर के गांव बसी गुलाम हुसैन के रहने वाले करनैल ने अपने दृढ़ इरादे का प्रमाण देते हुए रसायनमुक्त व तंदरुस्त खेती की राह को अपनाकर एक सफल किसान बनकर उभरे हैं। हालांकि करनैल सिंह एक कलाकार थे। फाइन आर्ट्स में अपना 10+2 पूरा करने के बाद, उन्होंने अपनी फैब्रिक पेंटिंग आर्टवर्क का काम चलाया। कुछ वक्त तक अच्छा कारोबार चलता रहा, लेकिन फिर वह कारोबार का ट्रेंड पुराना हो गया और कारोबार बंद हो गया।
43 वर्षीय किसान करनैल सिंह बताते हैं कि वर्ष 2013 में उन्होंने अपने खेतों में रसायन मुक्त खेती शुरू की थी। 18 मई, 2018 के दिन वो होशियारपुर में अपने किसी कार्य को लेकर जा रहे थे, उस वक्त वो हादसे का शिकार हो गए। डॉक्टरों के अनुसार उसकी तबीयत बहुत खराब थी, उन्होंने परिवार को बताया कि उनकी रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है और वह कमर से नीचे 70 प्रतिशत लकवाग्रस्त हो चुके हैं। दुर्घटना के बाद, वे लगभग आठ महीने तक अपने कमरे तक सीमित रहे। ऐसे में करनैल सिंह ने अपना हौंसला नहीं टूटने दिया और दृढ़ इच्छा शक्ति से खुद मानसिक तौर पर और मजबूती बनाया। उसने फिर से खेती की तरफ लौटने का फैसला किया।
उन्होंने अपनी बैटरी चालित ट्राइसाइकिल पर घूमना शुरू किया। जब करनैल सिंह ने 2013 में खेती की शुरूआत की तो पंजाब के अधिकांश अन्य किसानों की तरह, वो भी रसायनों का इस्तेमाल करता था, फिर उन्होंने जैविक खेती करने की ठान ली। आज वो मजदूरों की मदद से तीन एकड़ एक कनाल खेत में खेती कर रहा है। वे सुबह 11 बजे अपनी ट्राईसाइकिल लेकर खेत पहुंच जाते हैं और शाम छह बजे तक खेत में देखरेख करते हैं। डेढ़ एकड़ में 15-18 प्रकार की मौसमी सब्जियों की खेती करता है। इसके अलावा शेष जमीन पर वो गेहूं व मक्का उगाता है। अब वो आत्मनिर्भर बन गया है, परिवार का अच्छा पालन पोषण कर रहा है।
किसान होने की संतुष्टि और कमाई
आज करनैल सिंह आई.एफ.ए (इनोवेटिव फॉर्मर एसोसिएशन, होशियारपुर) आत्मा किसान हाट के अलावा, हर रविवार को होशियारपुर में प्रमाणित जैविक किसानों के बाजार में अपनी उपज बेचते हैं, जो जिला प्रशासन के प्रयासों, विशेष रूप से जिला कलेक्टर ईशा कालिया के दृष्टिकोण के साथ स्थापित किया गया था। यह सेफ फूड मंडी (आर्ग्रेनिक मंडी) हर रविवार को 9 से 12 बजे से लगाया जाता है। इसमें केवल वही किसान सब्जियां बेच सकते हैं, जिनके पास आर्ग्रेनिक सर्टीफिकेशन है। उन्होंने बताया कि मैं नियमित सब्जियों के रूप में एक ही बाजार मूल्य पर अपनी सब्जियां बेचता हूं। बहुत से लोग सोचते हैं कि यह घाटे का निर्णय है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि हर वर्ग का व्यक्ति उससे सब्जी खरीदे। उनका कहना है कि भले ही मैं मुनाफा कमाता हूं या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन लोगों के घर अमृत जाना चाहिए, जहर नहीं, यही मेरा उद्देश्य है।
संगठनों से जुड़कर जैविक खेती के लिए कर रहे जागरूक
वे सबसे पहले होशियारपुर में इनोवेटिव फार्मिंग एसोसिएशन जो जैविक खेती का प्रचार करने वाली संस्था है, उसमें शामिल हुए। यह समूह किसानों को जैविक खेती करने व उसके मंडीकरण करने की प्रेरणा देता है। शुरूआत में इस समूह में केवल 10 किसान थे। आज यह संख्या बढ़कर 55 हो गई है। जैविक खेती में सर्वोत्तम प्रथाओं पर कार्यशालाओं में भाग लेने के अलावा, यह संगठन किसानों को प्रशिक्षण के साथ जैविक उत्पादन के लिए एक बाजार प्रदान करता है। वे होशियारपुर के इनोवेटिव फार्मर एसोसिएशन व पीएयू किसान क्लब के सदस्य भी हैं।
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