‘म्हारी खेती, म्हारे किसान’, उपराष्ट्रपति ने किया सरसा जिला में सबसे बेस्ट बागवानी के लिए सम्मानित | Bagwani Kheti
Bagwani Kheti: सरे किसानों की तरह जितेंद्र सिंह भी कभी सामान्य ढंग से खेती करता था। लेकिन लागत अधिक व आमदन कम होने के चलते खेती में लगातार हो रहे घाटे ने उसे बागवानी के लिए प्रेरित कर दिया। जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया से ज्ञानवर्धक जानकारियां हासिल करते हुए विभागीय योजना का लाभ उठाकर बागवानी शुरू की। आज यह किसान हर वर्ष करीब 60 लाख रुपये की आमदन उठा रहा है।
इस प्रगतिशील किसान को 8 अक्टूबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने जिला स्तर पर सबसे बेहतर बागवानी के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया। यह युवा किसान आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। ओढां खंड के गांव घुंकावाली निवासी किसान जितेन्द्र सिंह से जब बातचीत की गई तो उसने सामान्य खेती से लेकर बागवानी तक की पूरी जानकारी सांझा की। किसान जितेन्द्र सिंह ने बताया कि खेती में लगातार हो रहे घाटे के चलते उसके मन में बागवानी का विचार उत्पन्न हुआ था।
जिसके बाद उसने कुछ किसानों को बागवानी (Bagwani Kheti) में अच्छी आमदन उठाते देखा तो उसकी बागवानी में रूचि और बढ़ गई। जिसके बाद उसने ट्रायल के तौर पर 20 एकड़ में किन्नु की बागवानी शुरू की। हालांकि ट्रायल के रूप में इतना बड़ा दायरा होने के चलते उसके परिजनों ने उसे टोका भी। लेकिन जितेन्द्र सिंह ने किसी की न सुनते हुए पूरा ध्यान बागवानी पर केन्द्रित कर लिया। 3 वर्ष में किन्नु के पौधे तैयार हुए तथा चौथे वर्ष किसान ने 50 हजार रुपये प्रति एकड़ की आमदन ली।
सोशल मीडिया बना मार्गदर्शक | Bagwani Kheti
किसान जितेन्द्र सिंह ने बागवानी में सोशल मीडिया को मार्गदर्शक बनाया। जिससे उसने अच्छी ज्ञानवर्धक जानकारियां हासिल की। शुरूआत में तो उसे रसायनों का प्रयोग किया, लेकिन किसान ने धीरे-धीरे कर आॅर्गेनिक ढंग अपना लिया। सिंह ने बताया कि पिछले 5 वर्षांे से उसने खेत में किसी भी तरह के रसायनों का प्रयोग नहीं किया। यही कारण है कि जितेन्द्र सिंह के बाग के पौधे स्वस्थ हैं एवं फलों की मिठास भी सबसे अलग है।
हर रोज 20 लीटर तरल खाद होती है तैयार :-
किसान जितेन्द्र सिंह द्वारा देसी तरीके से 8 ड्रमों की यूनिट में ब्रह्मीवॉश सिस्टम तैयार कर रखा है। जिसके तहत ड्रमों में गोबर की खाद डालकर उसमें केंचुए छोड़े हुए हैं। केंचुओं का मल-मूत्र पाइप के माध्यम से अन्य ड्रम में एकत्रित होता है। इस प्रक्रिय के माध्यम से हर रोज करीब 20 लीटर तरल पदार्थ तैयार होता है। जिसमें 80 प्रतिशत पानी का मिश्रण कर छिड़काव करने के साथ-साथ उसे ड्रिप के माध्यम से भी पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। इससे पौधे को पोषण मिलेगा और वह स्वस्थ रहेगा।
वेस्ट डी कंपोजर के लिए बनाया बड़ा टैंक:-
किसान जितेन्द्र सिंह ने वेस्ट डी कंपोजर के लिए खेत में एक लाख लीटर का बड़ा टैंक बनाया हुआ है। जिसमें वह गुड़ व वेस्ट डी कंपोजर का कल्चर डालता है। इससे तैयार तरल पदार्थ ड्रिप सिस्टम के माध्यम से पौधे तक पहुंचता है। ये प्रक्रिया जमीन में फालतू के खरपतवार व अन्य अवशेषों को गलाकर खाद का रूप दे देती है। इससे भूमि की उर्वरक शक्ति काफी अधिक बढ़ जाती है।
फंगस के लिए भी होती है स्प्रे तैयार :-
देखा जाता है कि पौधों में अक्सर फंगस की समस्या अधिक आती है। इसमें किसान महंगे कीटनाशकों का सहारा लेते हैं। लेकिन किसान जितेन्द्र सिंह ने फंगस की समस्या के लिए भी यूनिट स्थापित कर रखी है। वह देसी तरीका अपनाते हुए लस्सी, तांबे व लोहे के माध्यम से स्प्रे तैयार करता है। इसके छिड़काव से पौधे पर फंगस की समस्या नहीं आती। खेत में ही खाद व स्प्रे तैयार करने की प्रक्रिया में किसान जितेन्द्र सिंह 75 प्रतिशत तक खर्च बचा रहा है।
हर वर्ष 60 लाख रुपये की आमदन:-
किसान जितेन्द्र सिंह 20 एकड़ बागवानी में हर वर्ष करीब 60 लाख रुपये की आमदन उठा रहा है। विगत वर्ष हालांकि बागवानी में किसानों को घाटा उठाना पड़ा था, लेकिन फिर भी किसान जितेन्द्र सिंह ने प्रति एकड़ करीब 3 लाख रुपये की आमदन उठाई। किसान ने कहा कि देसी तौर-तरीके अपनाने में थोड़ी मेहनत ज्यादा है, लेकिन आमदन अच्छी है। उसने किसानों से आह्वान किया कि सामान्य खेती के साथ-साथ बागवानी अपनाकर अच्छा मुनाफा कमाएं। Bagwani Kheti
सरकार द्वारा बागवानी को बढ़ावा देने के लिए अच्छी योजनाएं चलाई जा रही हैं। पिछले कुछ समय से किसानों की बागवानी की तरफ रूचि बढ़ी है। किसान जितेन्द्र सिंह ने बहुत अच्छी बागवानी कर रखी है। हमने स्वयं जाकर निरीक्षण किया। किसान को सरसा जिला में बेस्ट बागवानी करने पर उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।
पुष्पेन्द्र राठौड़, जिला उद्यान अधिकारी (सिरसा)।
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