अंजीर की उन्नत खेती करके किसान भाई बनें मालामाल

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अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खेती है। क्योंकि इसके फलों की बाजार में अच्छी कीमत मिलने की वजह से किसान भाइयों को अच्छी खासी कमाई होती है। अंजीर का फल स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी होता है। इसके फल को ताजा और सुखाकर खाया जाता है। खाने में इसका प्रयोग कई तरह से किया जाता है। इसके अलावा अंजीर के फलों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी की किया जाता है।

अंजीर की खेती

अंजीर के पूर्ण रूप से पके हुए फल में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है। अंजीर के फल में कैल्शियम, विटामिन ए, बी, सी और फाइबर जैसे कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके इस्तेमाल से मधुमेह, स्तन कैंसर, सर्दी-जुकाम, दमा और अपचन जैसी बीमारियों में फायदा मिलता है। इसका फल पीला, सुनहरी और बेंगानी रंग का होता है। अंजीर का पौधा भूमध्यसागरीय जलवायु का पौधा है।

इसके पौधे को विकास करने के लिए गर्मी के मौसम की आवश्यकता होती है। अंजीर का पौधे झाडीनुमा पौधे की तरह दिखाई देता है। इसके पौधे को किसी भी तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान सामान्य होना चाहिए। इसकी खेती के लिए बारिश की भी सामान्य जरूरत होती है। अंजीर की खेती से किसान भाई अच्छा लाभ कम रहे हैं।

उपयुक्त मिट्टी

अंजीर की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है। लेकिन अधिक उत्पादन लेने के लिए इसकी खेती हलकी दोमट मिट्टी में करना सबसे उपयुक्त होता है। जल भराव वाली जगहों पर इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

जलवायु और तापमान

अंजीर की खेती के लिए शुष्क और कम आद्र मौसम सबसे उपयुक्त होता है। इसके पौधे को बारिश की सामान्य जरूरत होती है। सर्दी का मौसम इसके पौधों के लिए अनुकूल नहीं होता। सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसकी खेती के लिए नुक्सानदायक होता है। इसके पौधे गर्मी के मौसम में अच्छे से विकास करते हैं। और इसके फल भी गर्मियों के मौसम में ही पककर तैयार होते हैं। अंजीर के पौधों को शुरूआत में सामान्य तापमान की जरूरत होती है। पूर्ण रूप से विकसित होने के बाद इसका पौधे 25 से 35 डिग्री तापमान पर अच्छे से विकास करता हैं। सर्दियों में 20 डिग्री से नीचे तापमान होने पर इसका पौधा विकास करना बंद कर देता है।

उन्नत किस्में

अंजीर की कई तरह की उन्नत किस्में हैं, जिन्हें अधिक उत्पादन लेने के लिए अलग-अलग जगहों पर उगाया जाता है। भारत में इसकी खेती कई राज्यों में की जा रही है।

खेत की तैयारी

अंजीर के पौधे एक बार लगाने के बाद लगभग 50 से 60 साल तक पैदावार देते हैं। इसकी खेती करने के लिए शुरूआत में खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट कर दें। उसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई करने के बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। उसके बाद खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को समतल बना लें। ताकि खेत में जल भराव जैसी समस्या से छुटकारा मिल सके।

खेत को समतल बनाने के बाद उसमें 5 मीटर की दूरी बनाते हुए पंक्तियों में गड्डे तैयार कर लें। गड्डों को तैयार करने के दौरान प्रत्येक पंक्तियों के बीच चार से पांच मीटर की दूरी होनी चाहिए। गड्डों को तैयार करते वक्त उनका आकार दो फिट चौड़ा और एक से डेढ़ फिट गहरा होना चाहिए। गड्डों के तैयार होने के बाद उनमें उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक उर्वरक को मिट्टी में मिलकर भर दें। और उनकी अच्छे से सिंचाई कर दें।

पौध तैयार करना

अंजीर की खेती के लिए पहले इसकी पौध तैयार की जाती है। इसकी पौध कलम और बीज दोनों के माध्यम से तैयार कर सकते हैं। लेकिन नर्सरी में इनकी पौध तैयार करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इसके पौधों की उचित देखभाल नहीं करने पर वो नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसकी पौध सरकार द्वारा रजिस्टर्ड किसी भी नर्सरी से खरीदकर किसान भाई लगा सकते हैं। जिससे पौध बनाने में लगने वाले टाइम और मेहनत दोनों की बचत हो जाती है। नर्सरियों में कई किस्मों के पौधे आसानी से मिल जाते हैं। नर्सरी से पौध खरीदते वक्त किसान भाई सिर्फ अच्छे से विकास कर रहे लगभग एक साल पुराने पौधे को ही खरीदें।

पौध रोपाई का तरीका

अंजीर के पौधे की रोपाई खेत में तैयार किए गए गड्डों में की जाती है। अंजीर के पौधों की रोपाई करने से पहले गड्डों में उगने वाली खरपतवार को निकाल दें। और गड्डों के बीचोंबीच एक और छोटा गड्डा तैयार कर लें। जिसमें इसके पौधे की रोपाई की जाती है। पौधे को छोटे गड्डों में लगाने से पहले उन्हें गोमूत्र से उपचारित कर लें। और पौधे को गड्डे में लगाने के बाद उसे चारों तरफ से एक से डेढ़ सेंटीमीटर तक मिट्टी डालकर दबा दें।

बिजाई का समय

अंजीर के पौधों को साल में दो बार लगाया जा सकता है। जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था वहां इसके पौधे को फरवरी या मार्च माह में उगा सकते हैं। लेकिन जहां सिंचाई की व्यवस्था कम हो वहां इसे बारिश के मौसम में जुलाई या अगस्त माह के शुरूआत में उगा सकते हैं।

पौधों की सिंचाई

अंजीर के पौधों को सिंचाई की सामान्य जरूरत होती है। सर्दियों के मौसम में इसके पौधों की 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में इसके पौधे को पानी की ज्यादा जरूरत होती है। गर्मियों के मौसम में इसके पौधों की सप्ताह में दो सिंचाई कर देनी चाहिए। जबकि बारिश के मौसम में इसके पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन बारिश टाइम पर ना हो पौधों को पानी की जरूरत हो तो पौधों को पानी देना चाहिए। इसके पूर्ण विकसित पौधे को साल 10 से 12 सिंचाई की ही जरूरत होती है।

पौधों की देखभाल

अंजीर के पौधों की देखभाल करना काफी जरूरी होता है। इसके पौधों की अच्छी देखभाल कर जल्द अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकते हैं। इसके लिए इसके पौधों को खेत में लगाने के एक साल बाद उनकी छटाई कर दें। पौधों की पहली छटाई के दौरान इसके पौधों पर एक मीटर की ऊंचाई तक कोई भी नई शाखा ना बनने दे। इसके अलावा इसकी लम्बी बढ़ने वाली शाखा की कटाई कर दें। ताकि पौधे में और नई शाखाओं का जन्म हो और पौधा झाड़ीनुमा बन जाए। इसके पौधों की छटाई फल लगने शुरू होने के बाद हर साल गर्मियों के मौसम में करनी चाहिए।

फलों की तुड़ाई

अंजीर के फलों की तुड़ाई फलों के पूर्ण रूप से पकने के बाद ही करनी चाहिए। क्योंकि इसके कच्चे फल तोड़ने के बाद फल अच्छे से पकते नहीं है। जिससे फलों की गुणवत्ता में कमी हो जाती है। इसकी विभिन्न किस्मों के फलों का बाहरी रंग अलग अलग पाया जाता है। जिस कारण हर किस्म के फलों का रंग देखकर इसके फलों के पकने के बारें में पता लगाया जा सकता है।

जबकि सामान्य रूप में इसके पके हुए फल मुलायम होते है। और डंठल के पास से अंदर की तरफ से मूड जाते हैं। इसके फलों की तुड़ाई मई माह के बाद से अगस्त माह तक की जाती है। इसके फलों की तुड़ाई के दौरान फलों को पानी से भरे बर्तन में डालकर रखना चाहिए। इसके फलों की तुड़ाई हाथों में दस्ताना पहनकर करनी चाहिए। क्योंकि इसके फलों की तुड़ाई के दौरान पेड़ों से निकलने वाला रस हाथों पर लगने की वजह से शरीर में चर्म रोग हो जाता है।

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