मिट्टी में नहीं, सिर्फ पानी में सब्जियां उगाकर | Agriculture
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय मेहरा)। वैसे तो नई-नई तकनीक हमेशा से ही इजाद की जाती रही हैं, लेकिन 21वीं सदी में वह सब मुमकिन है जिसे कभी नामुमकिन या फिर एक सपना समझा जाता था। चाहे खेती (Agriculture) हो या कोई और क्षेत्र। हर जगह तकनीक के इस्तेमाल से देश-दुनिया के लोग ना केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि मिट्टी की घटती प्रजनन क्षमता को नया विकल्प भी दे रहे हैं। ऐसी ही एक तकनीक के इस्तेमाल से गुरुग्राम के किसान अर्चित सिंघल ने खेती के प्रति युवाओं का भी रुझान बढ़ाया है।
अर्चित सिंघल ने बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में ही सब्जियां उगाने का काम किया है। वैसे तो हाइड्रोपॉनिक नामक यह तकनीक इजराइल की है, लेकिन भारत में भी इस तकनीक को बढ़ाना मिल रहा है। कम उपजाऊ हो चुकी यहां की मिट्टी और खारे हो चुके पानी का यह तकनीक बड़ा विकल्प है। अर्चित सिंघल सामान्य खेती तो पिछले ढाई साल से कर रहे हैं, लेकिन बिना मिट्टी के खेती उन्होंने एक साल पहले शुरू की है। अर्चित बताते हैं कि इस खेती में मिट्टी का कोई काम नहीं होता। सिर्फ पाइनलाइन के जरिये यह खेती होती है। खास बात यह है कि हाईड्रोपॉनिक तकनीक से खेती करने का कोई विशेष मौसम या समय नहीं है, बल्कि यह खेती पूरे साल की जाती है।
पौधे और बेल वाली सब्जियां इस तकनीक से उगाई जाती हैं। इससे 90 प्रतिशत पानी की भी बचत होती है। इसमें पानी आरओ का चाहिए होता है। उन्होंने 2000 एनपीएस का आरओ प्लांट लगाया है। अपने पिता संजय सिंघल के साथ मिलकर खेती कर रहे अर्चित सिंघल के मुताबिक यह खेती उन स्थानों के लिए बड़ी लाभकारी है, जहां की मिट्टी उपजाऊ नहीं है और पानी भी ठीक नहीं है। इस खेती को देखने के लिए पिछले दिनों हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी अर्चित सिंघल के खेत का दौरा किया। Agriculture
रोज बढ़ती फसल को देख सकते हैं
पारंपरिक खेती में मिट्टी पोषक तत्वों के भंडार के रूप में कार्य करती है, जबकि हाइड्रोपोनिक खेती में पानी आधारित समाधान बढ़ती फसलों को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। हम अपनी बढ़ती फसल को सीधे देख सकते हैं। हाइड्रोपोनिक तकनीक में विभिन्न साधन और उपकरण शामिल होते हैं, जो एक साथ काम में लिये जाते हैं। हाइड्रोपोनिक किसानों को पौधों को बढ़ने में मदद करने के लिए इस माध्यम के साथ विशेष रूप से तैयार पोषक तत्व-घने घोल को मिलाने की आवश्यकता होती है।
फफूंदी से बचाने के लिए पानी को नियमित रूप से बदला भी जाता है। क्योंकि पौधों की जड़ें 24 घंटे पानी में डूबी रहती हैं। एनएफटी तकनीक खेती के लिए सबसे बेहतर है। इसमें पानी की सप्लाई देने वाला पंप आमतौर पर टाइमर से जुड़ा होता है, जो सिंचाई को स्वचालित करता है। ड्रिप सिस्टम पोषक तत्व-घने पानी को सीधे पौधों तक पहुंचाता है। इसलिए यह पानी के वाष्पीकरण को कम करके पौधों की जड़ों को नम रखने में मदद करता है।
हाइड्रोपॉनिक खेती के हैं कई फायदे: डा. मांगेराम गोदारा | Agriculture
जिला उद्यान सलाहकार डा. मांगेराम गोदारा का कहना है कि हाइड्रोपॉनिक सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीक है। इसमें पौधों को जमीन में ना डालकर पानी से भरे उपकरणों में लगाया जाता है। आवश्यकतानुसार पोषक तत्व प्रदान किए जाते हैं। लवणीय तथा क्षारिय भूमियों में सब्जी उत्पादन सम्भव है। नेमाटोड तथा अन्य भूमिगत कीट व रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है। संरक्षित संरचनाओं में वर्षभर उत्पादन किया जा सकता है। कीट व रोग रहित फसल उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि उच्च मूल्य वाली सब्जियों जैसे शिमला मिर्च, चैरी टमाटर, सलाद इत्यादि को वर्षभर उगाकर उच्च वर्ग व रेस्टोरेंट्स में आपूर्ति करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। वर्टीकल कृषि करके अधिक पैदावार ली जा सकती है।
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