भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रमों का बंटाधार

Family Welfare, Programs, Govt, India

हमारे देश में 1960 के दशक के शुरू में एक आधिकारिक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू किया था। विश्व में ऐसा करने वाला भारत पहला देश था। मगर सरकार के लाख प्रयासों और देश के बजट का एक बड़ा भाग खर्च करने के बावजूद इस क्षेत्र में वांछित परिणाम हासिल नहीं किये जा सके। अनेक स्तरों पर अध्ययन और विश्लेषण के बाद किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका।

कहीं सरकार के स्तर पर तो कहीं आम आदमी की कमजोरियों को रेखांकित किया गया। देश की आबादी भी आजादी के बाद चार गुना बढ़ गई। यह भी सत्य है कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने वाली सरकारी एजेंसियां गंभीर नहीं है। अब कैग ने भी देश में परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को धत्ता बताकर उसकी आलोचना की है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सरकार के जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की पोल खोलते हुए कहा है कि देश के 14 राज्यों के 300 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 40 फीसदी में नसबंदी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। कैग ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में 2012 से 2017 की अवधि में की गई जांच पर संसद में पेश रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आयी है, जब सरकार ने देश में प्रजनन दर घटाने के लिए परिवार विकास जैसा व्यापक अभियान चला रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और पंजाब में औसत 63 फीसदी में यह सुविधा नहीं है। यह भी कहा गया है कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में किसी भी चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में महिला और पुरुष नसबंदी की सुविधा मौजूद नहीं होने की बात कही गई है।

कैग ने इस संबंध में अपने सुझावों में कहा है कि प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र में नसबंदी के साथ ही परिवार नियोजन के सभी साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। नसबंदी के आपरेशन सही चिकित्साकर्मियों की देख रेख में होने चाहिए ताकि किसी तरह की जटिलताएं न पैदा हों। परिवार नियोजन के उपायों के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि या क्षतिपूर्ति राशि का बंटवारा सुसंगत तरीके से करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

इस समय भारत की आबादी लगभग एक अरब 29 करोड़ है। भारत में बढ़ती आबादी चिंतनीय है। सरकार ने आजादी के बाद से ही देश की आबादी कम करने के लिए कई उपाय किये हैं। इनमें परिवार नियोजन कार्यक्रम प्रमुख है। 1960 के दशक के शुरू में भारत ने एक अधिकारिक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू किया। विश्व में ऐसा करने वाला भारत पहला देश था। मगर सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद इस क्षेत्र में वांछित परिणाम हासिल नहीं किये जा सके। जन्म दर को कम करके जनसंख्या वृद्धि में कटौती करने को ही आम तौर पर जनसंख्या नियंत्रण माना जाता है।

जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाना किसी भी सरकार के लिए सरल नहीं होता। हमारे देश में निर्धनता, अंधविश्वास, अशिक्षा, धार्मिक विश्वास, भ्रामक धारणाएँ और स्वास्थ्य के प्रति अवैधानिक दृष्टिकोण जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ जाएगा। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेय जल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, इसके अलावा लाखों लोग स्वास्थ्य और शिक्षा के लाभों एवं समाज के उत्पादक सदस्य होने के अवसर से वंचित हो जाएंगे।

-बालमुकुंद ओझा

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।