कारखाने की घंटी

औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के सामाजिक जीवन को पूरी तरह बदल दिया। अब रहन-सहन और कामकाज का नया स्वरूप सामने आया। कई फैक्ट्रियां खुलीं जिनमें लाखों लोग काम करते थे। उस समय इन कारखानों में बजने वाली घंटियों पर ही लोगों की दिनचर्या निर्भर थी। घंटियों से काम शुरू होने या खत्म होने की सूचना दी जाती थी। ज्यादातर लोगों को उसी से सही समय की जानकारी मिलती थी। खास कर मजदूरों को जिनके पास अपनी घड़ी नहीं होती थी। जिनके पास होती भी थी वे भी उसके आधार पर अपना काम करते थे।
फैक्ट्री में घंटी बजाना एक महत्वपूर्ण काम था। यह काम किसी जिम्मेदार व्यक्ति को ही दिया जाता था। इंग्लैंड की एक फैक्ट्री का फोरमैन रोज सुबह काम पर जाते हुए घड़ी मरम्मत की एक दुकान के बाहर रुककर अपनी कलाई घड़ी का समय मिलाता था। घड़ीसाज रोज उसे ऐसा करते हुए देखता था। उसे हैरत होती थी। वह उससे इसका कारण पूछना चाहता था पर पूछ नहीं पाता था। घड़ीसाज एक दिन अपनी उत्सुकता दबा नहीं पाया और आखिरकार उसने फोरमैन से घड़ी का समय मिलाने की वजह पूछ ही ली। फोरमैन ने बताया कि वह सामने के एक कारखाने में नौकरी करता है। उसका काम प्रतिदिन शाम पांच बजे घंटी बजाकर कर्मचारियों को शिफ्ट खत्म होने की सूचना देना है। वह अपना काम अच्छी तरह कर सके इस लिए वह रोज उस घड़ीसाज की दुकान में लगी एक घड़ी से अपनी घड़ी का समय मिलाता है। घड़ीसाज यह सुनकर दंग रह गया। कुछ देर तक मौन रहने के बाद वह मुस्कराते हुए बोला कि वह खुद रोज शाम अपनी दुकान की घड़ियां उसकी फैक्ट्री की घंटी से मिलाता है।

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