Trees Extinction: वृक्षों का विलुप्त होना चिंता का विषय

Trees Extinction
Trees Extinction: वृक्षों का विलुप्त होना चिंता का विषय

Trees Extinction: हाल ही में आईयूसीएन की ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, तीन में से एक वृक्ष प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि दुनिया भर में 47,000 से अधिक वृक्ष प्रजातियों का मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से 16,000 से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। वर्तमान में अनुमानत: विश्व में 58,000 वृक्ष प्रजातियां विद्यमान हैं।

आईयूसीएन की रेड लिस्ट, जो जीवों के विलुप्त होने के जोखिम का आकलन करती है, वैश्विक जैव विविधता की स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह प्रजातियों की विशेषताओं, खतरों और संरक्षण उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, जिससे संरक्षण नीतियों और निर्णयों को आकार दिया जा सके। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष बताते हैं कि पृथ्वी पर जीवन लगातार खतरे में है, और विशेष रूप से वृक्ष प्रजातियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है।

वृक्षों का महत्व मानव जीवन और पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वृक्ष न केवल आॅक्सीजन का मुख्य स्रोत हैं, बल्कि वे वर्षा, जीवों का आश्रय और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय संस्कृति में वृक्षों को पूजनीय माना गया है, और यहां तक कि मत्स्य पुराण में कहा गया है कि एक वृक्ष दस पुत्रों के समान है।

192 देशों में वृक्ष प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा

रिपोर्ट के अनुसार, 192 देशों में वृक्ष प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है, विशेषकर द्वीपों पर, जहां शहरीकरण और कृषि का विस्तार तेजी से हो रहा है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और औद्योगीकरण के कारण और भी गंभीर हो गई है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, जंगली आग, सूखा और अतिवृष्टि जैसे कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं।

एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया में लगभग तीन ट्रिलियन पेड़ हैं, लेकिन हर साल 15 अरब से अधिक पेड़ काटे जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, मानव सभ्यता की शुरूआत के बाद से पेड़ों की संख्या में लगभग 50% की कमी आई है। आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल 5,000 से अधिक प्रजातियों का उपयोग लकड़ी के लिए किया जाता है, जबकि 2,000 से अधिक प्रजातियां खाद्य, औषधीय और ईंधन के रूप में उपयोग की जाती हैं।

खतरे में पड़ी प्रजातियां में हॉर्स चेस्टनट और जिन्कगो शामिल हैं, जिनका चिकित्सा में उपयोग होता है। इसके अलावा, बिग लीफ महोगनी जैसे वृक्षों का उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है। दक्षिण अमेरिका, जहां पेड़ों की विविधता सबसे अधिक है, 13,668 आकलित प्रजातियों में से 3,356 विलुप्त होने के खतरे में हैं।

आईयूसीएन ने 2023 में रेड लिस्ट अपडेट की

जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए, आईयूसीएन ने 2023 में रेड लिस्ट अपडेट की, जिसमें विशेष रूप से हरे कछुए, मीठे पानी की मछलियां और महोगनी के पेड़ों को खतरे में बताया गया। इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। हमें प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। आज अधिक से अधिक पेड़ों को लगाने की आवश्यकता है, क्योंकि शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ रही है और जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है।

हालांकि, केवल पौधे लगाना ही पर्याप्त नहीं है; उनका संरक्षण भी आवश्यक है। लोगों को यह समझना चाहिए कि पेड़ों की देखभाल करना किसी छोटे बच्चे की देखभाल करने जैसा है। वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करते हुए लुप्त होती प्रजातियों के बीज विकसित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना भी आवश्यक है।

समाज के सभी वर्गों को मिलकर वृक्षों के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। यदि हम इस दिशा में कदम नहीं उठाते, तो आने वाले दिनों में कई वृक्ष प्रजातियों को केवल किताबों में देख पाएंगे। इस संदर्भ में डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाया जा रहा पौधारोपण अभियान व प्रधानमंत्री द्वारा चलाया जा रहा ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान सराहनीय है, लेकिन इसके साथ-साथ हमारे कार्यों को भी कारगर बनाने की आवश्यकता है। वास्तव में, वृक्ष इस धरती के असली आभूषण हैं। इसलिए, हमें आधुनिकता और विकास की चकाचौंध में प्रकृति के संरक्षण को नहीं भूलना चाहिए।

सुनील कुमार महला (यह लेखक के अपने विचार हैं)

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