कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय लेने के सिवाय कोई चारा नहीं है। जिस प्रकार विश्व और देश में मरीजों और मृतकों की संख्या बढ़ रही है, उससे स्पष्ट है कि लॉकडाउन तत्काल अनिवार्य है। ओडीशा और पंजाब ने इस निर्णय को पुख्ता कर दिया है। दोनों राज्यों ने केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार करने से पहले ही कर्फ्यू/लॉकडाउन 30 अप्रैल और 1 मई तक बढ़ा दिया। वास्तव में पंजाब भले ही छोटा राज्य है लेकिन मोहाली का एक गांव जवाहरपुर तो पूरे देश में कोरोना वायरस का गढ़ बन गया है जहां मरीजों की गिनती 30 से पार हो गई। उधर दिल्ली से वापिस आए जमातियों का सामने नहीं आना और विदेशों से लौटे लोगों की जांच भी बड़ी समस्या है, जिनसे निपटने के लिए कर्फ्यू ही एकमात्र विकल्प बचा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह तर्क भी जायज है कि लॉकडाउन के कारण ही मरीजों की गिनती अभी 7000 से नीचे है, अन्यथा अब तक मरीजों की गिनती 2 लाख को पार कर जानी थी। अब हालातों को देखकर उन लोगों को भी समझ जाना चाहिए जो मास्क नहीं पहनते और सावधानियों को नहीं मान रहे। अब लापरवाही का वक्त नहीं रहा। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी आईसीयू में भर्ती हैं। अब जागरूकता और सावधानी ही एकमात्र बचाव है। यहां केंद्र व राज्य सरकारों को इस मामले में गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है वहीं देश में सरकारी राशन और अन्य सुविधाएं देने में राजनीतिक पक्षपात और लापरवाही को भूलना होगा। पंजाब सहित कई राज्यों में राशन न मिलने की रिपोर्टें आ रही हैं, न तो बीमारी कोई झूठ है और न ही इसकी तेजी से फैलने की सूचनाएं झूठी हैं। अमेरिका जैसे देश में मरीजों की गिनती 3 लाख को पार कर चुकी है, वहां 24 घंटों में 2000 के करीब मौतें होने की खबरें भी आ रही हैं। सभी को सरकार द्वारा जारी निदेर्शों की पालना करने के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। इस वक्त जो संस्थाएं जरूरतमन्दों की मदद करने में जुटी हुई हैं, उनके जज्बे को सलाम है। सरकार, प्रशासन, पुलिस, डाक्टर, समाजसेवी दिन-रात लोगों की भलाई करने में जुटे हुए हैं। आम लोगों ने तो केवल घरों के अंदर ही बैठना है, वह भी अपने-आप में एक बड़ी जिम्मेदारी और सहयोग है।
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