हालात-ए-स्वास्थ्य विभाग। आज भी टूटी पड़ी है सीलिंग, लगातार टपकता है पानी

Even today, sealing is broken........

साढ़े चार साल से ईलाज को तरस रहा ‘नागरिक अस्पताल’

-जाली लगाकर कमी छुपाने का प्रयास, पर नहीं रोक पाते पानी

गुरुग्राम सच कहूँ/संजय मेहरा। प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व सरकार को देने वाले गुरुग्राम में आम आदमी को स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधाएं देने के सरकार के साथ खुद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं। जो यहां के नागरिक अस्पताल की तस्वीर है वह उन दावों की पोल खोलती है। कह सकते हैं कि नागरिक अस्पताल खुद बीमार है और साढ़े चार साल में इसकी बीमारी का ईलाज नहीं हो पाया है। शुरू-शुरू में तो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज उच्चाधिकारियों के साथ कई बार यहां के नागरिक अस्पताल में दौरा करके सुविधाओं, कमियों का जायजा लेने पहुंचे

। उनके समक्ष यहां के स्टाफ और मीडिया ने भी यहां की कमियों को उजागर किया। खास बात यह है कि इन कमियों को देखकर उन्होंने बिना देरी के सुधार करने के भी आदेश दिए, लेकिन उनके आदेशों में कितना दम था, अधिकारी उन्हें कितनी गंभीरता से लेते हैं, इस बात से पता चलता है कि यहां ओपीडी क्षेत्र में छत से गिरी सीलिंग तक ठीक नहीं हो पाई है। चार साल उन बातों को बीत चुके हैं।

ओपीडी क्षेत्र में काफी दूरी में सीलिंग टूट चुकी है। डाक्टर्स के कक्ष के बाहर से तो हरी जाली लगाकर उसे ढका गया है, लेकिन बाकी के क्षेत्र में ऐसे ही पड़ी है। उसके ठीक नीचे मरीजों के बैठने के लिए बेंच आदि डाले गए हैं। यहां छत से पानी की लीकेज की दिक्कत वर्षों से खत्म नहीं हो पाई है। शुक्रवार को भी यहां छत से पानी टपकता रहा और मरीजों को बैठने का स्थान छोड़कर इधर-उधर खड़े होना पड़ा।

इमरजेंसी में शौचालय पर टूटा दरवाजा

अस्पताल की इमरजेंसी की हालत भी शमिंर्दा करती है। यहां गेट के अंदर जाते ही दायें हाथ की तरफ महिला एवं पुरुष शौचालय है। यहां के पुरुष शौचालय की हालत बहुत बुरी है। वाश वेसन से लेकर शौचालयों तक की सफाई बेमानी है। यहां दो टायलेट हैं। एक टायलेट का दरवाजा नीचे की तरफ से आधा टूटा पड़ा है। यानी अगर कोई टायलेट के अंदर बैठा हो तो वह साफ दिखाई देता है। फिर भी लोगों की मजबूरी है।

सफाई की बात करें तो वह भी नहीं होती। यहां 24 घंटे बदबू ही फैली रहती है। इमरजेंसी वार्ड में सफाईकर्मी सिर्फ नाम की ही सफाई करते हैं। यहां देखा गया कि दीवारों पर खूब के धब्बे थे और जमीन पर भी काफी गंदगी बिखरी पड़ी थी। एक घंटे खड़े रहने के बाद जब सफाईकर्मी से पूछा गया कि सफाई कब होगी तो उसका जवाब था कि सफाई कर दी है। गंदगी के बारे में जब उससे पूछा तो उसके पास कोई जवाब नहीं था।

मरीजों को चद्दर, कंबल के लिए इंतजार

यहां इमरजेंसी विभाग की बात करें तो यहां बेड के हिसाब से न तो चद्दरें ही होती हैं और न ही पर्याप्त कंबल। शुक्रवार की अल सुबह पांच बजे जब अस्पताल में जाकर वहां की स्थिति देखी गई तो पता चला कि यहां कई बेड से चद्दरें और कंबल ही गायब हैं। इस बाबत जब वहां पर कार्यरत स्टाफ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सुबह जब स्टोर खुलेगा, जब ही चद्दर, कंबल मिल सकते हैं। तब तक मरीज को बिना चद्दर के बेड पर ही लिटाकर रखो।

कंबल, चद्दर उठा ले जाते हैं लोग: स्टाफ

बेड पर कंबल और चद्दर नहीं होने के जवाब में यहां इमरजेंसी में स्टाफ का यह भी कहना था कि स्टोर से तो पूरा सामान आता है और सभी बेड पर रखा जाता है। अक्सर जो मरीज यहां भर्ती होते हैं, वे जाते समय चद्दर और कंबल उठा ले जाते हैं। एक हिसाब से लोग यहां से यह सामान चोरी करके ले जाते हैं। अगर चोरी हो रही है तो फिर इस पर अस्पताल स्टाफ न तो किसी से शिकायत करता है और न ही अस्पताल प्रशासन ही इस ओर कोई ध्यान देता है।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।