आज भी एक अरब लोग पढ़-लिख नहीं सकते

Even today one billion people cannot read and write
दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ आज 54वां ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जा रहा है। साल 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय/ विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था। जिसके बाद हर साल 8 सितंबर को दुनियाभर में ये दिन मनाने की परंपरा जारी है। निरक्षरता को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान साल 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी। 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को ने 14वें जरनल कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा हर साल दुनिया भर में 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इस साल ये 52वां अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस है।
भारत में या देश-दुनिया में गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरूरी है। ये क्षमता सिर्फ साक्षरता में है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है। साक्षरता दिवस लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के मनाया जाता है। साक्षरता का मतलब केवल पढ़ना-लिखना या शिक्षित होना ही नहीं है।
यह लोगों के अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बन सकती है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में चार अरब लोग साक्षर हैं और आज भी 1 अरब लोग पढ़- लिख नहीं सकते। विद्यालयों की कमी, स्कूल में शौचालय आदि की कमी, जातिवाद, गरीबी, लड़कियों के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ होने का डर, जागरूकता की कमी। बता दें, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 127 देशों में 101 देश ऐसे हैं, जो पूर्ण साक्षरता हासिल करने से दूर है, जिनमें भारत शामिल है।

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