मुम्बई में हुई एशियन हाफ मैराथन चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
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अब चार घंटे की फूल मैराथन की तैयारी में बहा कर रहे पसीना
चरखी दादरी (सच कहूँ ब्यूरो)। ‘‘इंसान में अगर जज्बा और हौंसला बुलंद हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है, इंसान हिम्मत करे तो क्या नहीं हो सकता, चाहे उम्र कुछ भी हो।’’ इस बात को चरखी दादरी के गांव कमोद निवासी 72 वर्षीय रामफल ने साबित कर दिखाया है। धावक रामफल ने हाल ही में मुम्बई में आयोजित एशियन हाफ मैराथन चैंपियनशिप में रिकार्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता है। यहां रामफल की फिटनेस देख युवा भी हैरान हैं। ढलती उम्र भी इस बुजुर्ग धावक की प्रतिभा को नहीं रोक पाई। 40 की उम्र पार करते ही अगर दौडऩा पड़ जाए तो सांस फूल जाती है। लेकिन दादरी के गांव कमोद निवासी रामफल 72 की उम्र पार करने के बाद भी ऐसे दौड़ते हैं कि जवान भी उनको देखकर हैरान रह जाते हैं। धावक रामफल ने बताया कि वे हर रोज घर के कार्य करके खेतों के कच्चे रास्तों में सुबह-शाम 8 किलोमीटर की दौड़ लगाते हैं। हाल ही में पिछले दिनों मुम्बई में हुई एशियन हाफ मैराथन चैंपियनशिप में रामफल ने रिकार्ड बनाकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया है। पहले भी दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड हाफ मैराथन दौड़ में उन्होंने 17 देशों के 50 हजार धावकों की मौजूदगी में रिकार्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता था। ‘ओल्ड ब्वाय’ के नाम से प्रसिद्ध रामफल अब तक राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर ढेरों मेडल जीत चुके हैं। जिनमें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर सहित 20 से अधिक गेल्ड मेडल शामिल हैं।
65 साल की उम्र में शुरू की तैयारी
गांव के सरपंच सुदर्शन ने कहा कि गाँव कमोद को पहले ही बेटियों के नाम से जाना जाता है। सरपंच ने कहा कि जिस उम्र में लोग अपने पैरों पर सही से खड़े भी नहीं हो पाते हैं, उस उम्र में इस बुजुर्ग ने दौड़ में ढेरों गोल्ड मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि जहां लोग छोटी सी उम्र से ही एथलीट बनने की तैयारी करते हैं, लेकिन रामफल ने नौकरी से सेवानिवृत्ति लेने के बाद 65 वर्ष की उम्र से इसकी शुरूआत की।
रोजाना सुबह 4 बजे शुरू करते हैं प्रैक्टिस
रामफल बताते हैं कि वो सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरूआत करते हैं, जिसमें वो लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास भी करते हैं। इसके अलावा वो इस उम्र में भी 10 किलोमीटर तक दौड़ लगाते हैं। रामफल के नक्शे कदम पर उसकी 7 वर्षीय पोती भव्या भी चल रही है। दूसरी कक्षा में भव्या ने अपने दादा के साथ प्रेक्टिस करते हुए स्कूल स्तर पर गोल्ड जीता है।
पत्नी को भी बना रहे हैं खिलाड़ी
रामफल की पत्नी शीला कहती हैं कि उसके पति उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो उम्र का बहाना बनाकर अपनी परेशानियों से हार मान लेते हैं। इन्होंने दिखा दिया कि अगर आपके अंदर किसी काम को करने का जुनून है, तो आप उसे आसानी से कर सकते हैं। शीला देवी का कहना है कि मैडल लाने के लिए पति के साथ वे भी रोज दौड़ व व्यायाम करती हैं। उन्होंने कहा कि मेडल आए या न आए, लेकिन इस उम्र में भी बच्चों के बीच जवान की तरह स्वस्थ रहते हैं।
बुजुर्गों के लिए खेल नीति की मांग
गांव कमोद के सरपंच सुदर्शन ने धावक रामफल के ज़ज्बे को देख सरकार से मांग की है कि सरकार बुजुर्गों के लिए भी कोई खेल नीति बनाए, ताकि वो भी विदेशों की तर्ज पर आगे आएं और अपना जौहर दिखा सकें।
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