चिंताजनक: करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी बाघों की सुरक्षा नहीं हो पा रही
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स्वतंत्र एजेन्सी से हो जांच
भीलवाड़ा (सच कहूँ न्यूज)। प्रर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स के राजस्थान इकाई के प्रभारी बाबूलाल जाजू ने प्रदेश में बड़ी संख्या में बाघ गायब होने के मामले की जांच स्वतंत्र एजेन्सी से कराने की राज्य सरकार से मांग की है। जाजू ने रविवार को अपने बयान में यह मांग की। उन्होंने वन विभाग पर बाघों की कमजोर सुरक्षा व्यवस्था का आरोप लगाते हुए कहा है कि देश में बाघों के नाम से विख्यात रणथंभौर एवं सरिस्का सहित तीन बाघ अभयारण्यों से पिछले कई वर्षों से तीस से अधिक बाघ लापता है।
उन्होंने बताया कि रणथंभोर में सर्वाधिक 26 बाघ लापता हैं। रणथंभौर में टी-17 सुंदरी, टी-42 फतह, टी-47 मोहन, टी-34 नूर के शावक कालू-धोलू एवं बाघ कालिया सहित 26 बाघ गायब होकर पिछले अनेक वर्षों से दिखलाई नहीं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि अलवर जिले में स्थित सरिस्का से एसटी-11 के तार के फंदे से मारे जाने की पुष्टि हुई है तथा एस-टी 5 बाघ गायब है। मुकन्दरा में भी एमटी-1 बाघ, एमटी-2 एवं एमटी-4 के शावक पिछले काफी समय से दिखलाई नहीं दे रहे हैं। जाजू ने वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बड़ी संख्या में टाईगर रिजर्वों से बाघों का नजर नहीं आना इस बात को सिद्ध करता है कि बाघों की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है तथा समय पर पेट्रोलिंग नहीं हो रही है, जिससे इन बाघों के शिकार से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जीवित होने का प्रमाण विभाग नहीं दे पा रहा
उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में रणथंबोर राष्ट्रीय पार्क में बाघ 108 के गले में लोहे का फंदा इस बात का प्रमाण है कि शिकार का सिलसिला जारी है। उन्होंने बताया कि बाघों की सुरक्षा व संख्या बढ़ाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किये जाने के बावजूद तथा अत्याधुनिक संसाधन, रेडियोकॉलर, थर्मल कैमरे, सवेर्लांस की व्यवस्था होने के बावजूद उक्त बाघों के जीवित होने का प्रमाण विभाग नहीं दे पा रहा है, जो इस बात को सिद्ध करता है कि बाघों का शिकार हो चुका है। शिकारियों द्वारा बाघों के खाल एवं अंगो को बेचा जा चुका है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करे हस्तक्षेप
जाजू ने यह भी आशंका जाहिर की है कि बाघों का शिकार विभाग की बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा बाघों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के बजाय बाघों को पैसा कमाने की मशीन बना दिया है। उन्होंने वन विभाग पर यह भी आरोप लगाया कि राजस्थान प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों को बाघों की पारदर्शिता के साथ वास्तविक संख्या नहीं बताते हुए बाघों की बढ़ी हुई संख्या बताकर अंधेरे में रखा जा रहा है। जाजू ने बड़ी संख्या में बाघ गायब होने के गंभीर मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हस्तक्षेप करते हुए मामले की जांच स्वतंत्र एजेन्सी से करवाने की मांग की है।
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