हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बाद भी कम ना हुआ हौसला, और जज्बे के साथ भरी नई उडान
सरसा (सच कहूँ/सुनील वर्मा)। ये राहें ले ही जाएंगी मंजिल तक हौसला रख, कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा नहीं होने दिया। जी हां किसी शायर की लिखी इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है दोनों हाथों से दिव्यांग, मगर अपने हौसलों व जज्बे से शिक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखने वाले प्रो. हरजिंद्र सिंह ने। हाल ही में प्रदेश के बड़े कॉलेजों में से एक सरसा के राजकीय नेशनल महाविद्यालय (Government National College) में प्रो. हरजिंद्र सिंह ने बतौर प्रिंसीपल अपना कार्यभार संभाला है।
प्रो. हरजिंद्र सिंह मूलरूप से सरसा के निकटवर्ती गांव बाजेकां के रहने वाले हैं। सबसे अहम बात यह है कि जब वे 11 वर्ष की उम्र में कक्षा 5वीं में पढ़ते थे, तभी पशुओं के लिए चारा काटते वक्त मशीन में उनके दोनों हाथ कट गए थे। दोनों हाथ गंवाने के बाद भी प्रो. हरजिंद्र सिंह का हौसला पस्त नहीं हुआ बल्कि पढ़ाई को अपना जुनून बनाकर वो कर दिखाया जो हर पढ़े-लिखे इंसान का सपना होता है। Sirsa News
प्रो. हरजिंदर सिंह ने राजकीय नेशनल कॉलेज सरसा में बतौर प्रिंसीपल संभाला कार्यभार
2 जनवरी 1966 को जन्में प्रो. हरजिंद्र सिंह 7 बहन-भाई हैं और वे सबसे छोटे है। उनके सभी भाई अपना बिजनेस व कृषि कार्य करते हैं। प्रो.हरजिंदर सिंह की धर्मपत्नी गणित शिक्षिका हैं और उनके दो बेटे हैं। इनमें एक कनाडा और एक दिल्ली में एक नामी कंपनी में सेटल्ड है। प्रो.हरजिंदर सिंह ने सच कहूँ से विशेष बातचीत के दौरान अपने जीवन में संघर्ष और दोनों हाथ कटने की घटनाएं सांझा करते हुए बताया कि यदि यह हादसा उसके साथ ना होता तो शायद वह भी अपने भाइयों के साथ खेती करता होता।
बचपन में पढ़ाई में कम और खेलों में थी अधिक रूचि | Sirsa News
प्रिंसीपल हरजिंदर सिंह ने बताया कि वे बचपन में पढ़ने में होशियार नहीं थे, लेकिन खेलों में उनकी बचपन से ही अधिक रूचि रही है। वे टेनिस के एक अच्छे खिलाड़ी हैं। स्वजन जब उसे स्कूल भेजते तो वह बीच रास्ते खेतों में अपना बैग छिपा देता या फिर दोपहर की रोटी खाकर ही घर वापस आ जाता। इसी के चलते वह चौथी कक्षा में फेल हो गया। इसके बाद जब वह पांचवीं में था तो 11 साल की उम्र में हादसे में दोनों हाथ कट गए। प्रिंसीपल ने बताया कि इस हादसे के बाद मैंने अपनी जिंदगी शून्य से शुरू की।
मैंने समझ लिया था कि अब केवल शिक्षा ही माध्यम है जिसे हासिल करके वह सफल हो सकता है। हादसे के बाद उनका पीजीआई चंडीगढ़ में दो साल तक इलाज चलता रहा। धीरे- धीरे उन्होंने दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू की और बाजू से लिखना शुरू किया और अंग्रेजी में प्राध्यापक बनने की ठान ली। अब वे अभ्यास के माध्यम से अपनी छोटी-छोटी उंगली से बच्चों को पढ़ाना, बोर्ड पर लिखना, मोबाइल चलाना सहित सभी कार्य कर लेते हैं।
प्रिंसीपल प्रो. हरजिंद्र सिंह ने कहा कि जिस कॉलेज में पढ़ाई की और वहीं प्रिंसीपल बनकर आना अलग ही अनुभव होता है। उनकी प्राथमिकता है कॉलेज के लिए ऑडिटोरियम का निर्माण हो, स्टाफ के क्वाटर बनाए जाए। इसके लिए वह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज में मैंने जिनको पढ़ाया था वो भी अब सहायक प्रोफेसर बनकर यहां पढ़ा रहे हैं,यह उनके लिए काफी सुखदायी है।
जिस कॉलेज में प्रिंसीपल, उसी में दाखिला लेने के लिए करनी पड़ी थी जद्दोजहद
प्रो. हरजिंद्र सिंह बताया कि वह जिस कॉलेज में अब प्रिंसीपल है, उसमें दाखिला लेने के लिए भी उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। क्योंकि उस दौरान यहां के प्रिंसीपल रहे जेएस कक्कड़ ने उन्हें इस कॉलेज की जगह जीवन नगर में शुरू हुए हरी सिंह कॉलेज में दाखिले लेने के लिए बोल दिया। लेकिन वे यहीं दाखिला लेने के लिए अड़े रहे। आखिर में उन्हें यहां एडमिशन मिल गया और 1983 से 1987 में यहां से आॅनर्स इकोनॉमिक्स की। इसके बाद इकोनॉमिक्स में गतिविधियां अधिक होने के कारण उन्होंने एमए में अपना विषय बदल लिया और साल 1990 में एमए इंग्लिश, 1991 में एमफिल पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, 1994 में बीएड,पीजीडीसीए रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश चंडीगढ़ से की। वहीं इससे पूर्व राजकीय उच्च विद्यालय रानियां से मैट्रिक की। जबकि प्राइमरी शिक्षा बाजेकां से की।
यहां-यहां रही पोस्टिंग | Sirsa News
प्रो. हरजिंदर सिंह का 21 फरवरी 1998 को उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा में अंग्रेजी प्राध्यापक के पद पर चयन हुआ। पहला स्टेशन उन्हें राजकीय महाविद्यालय महेंद्रगढ़ मिला। एक महीने बाद यानी 22 मार्च 1998 को उच्चतर शिक्षा विभाग ने उनका तबादला सरसा नेशनल कालेज में कर दिया। इसी कॉलेज में 26 साल पढ़ाते हुए 19 दिसंबर 2024 को उच्चतर शिक्षा विभाग ने उन्हें प्रिंसीपल पद पर पदोन्नत कर दिया। जिसके बाद उच्चतर शिक्षा विभाग ने 28 मार्च 2025 को उन्हें इसी कालेज में प्रिंसीपल बना दिया।
हालांकि पूर्व में यहां के प्रिंसीपल रहे संदीप गोयल के सेवानिवृत के बाद से वो ही कॉलेज प्रिंसीपल का कार्यभार संभाल रहे है। उच्चतर शिक्षा विभाग से पहले फरवरी 1996 से फरवरी 1998 तक सरदूलगढ़ में उन्होंने पंजाब के सीनियर सेकेंडरी शिक्षा विभाग में नौकरी की। इसके अलावा अमरदीप सिंह शेरगिल मेमोरियल कॉलेज, मुकुंदपुर, कपूरथला व मानसा कॉलेज में भी उन्होंने नौकरी की है। Sirsa News
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