रंगड़ी खेड़ा के ग्रामीणों का संघर्ष लाया रंग
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ग्रामीणों ने लड्डू बांटकर मनाई खुशी, 10 दिन में जारी होगा टेंडर
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अगले माह से शुरू होगा निर्माण कार्य
सच कहूँ/सुनील वर्मा, सरसा। गांव रंगड़ी खेड़ा में नहरी पानी की सप्लाई के लिए जलघर निर्माण हेतु जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एस्टीमेट राशि की मंजूरी दे दी है। जलघर के निर्माण पर करीब 6 करोड़ 3 लाख रुपये की लागत आने का अनुमान है और इस अनुमान राशि को मंजूर कर लिया गया है। अब करीब 10 दिनों में पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा जलघर के निर्माण (Construction of Water House) के लिए टेंडर जारी कर दिया जाएगा और अगले माह से जलघर का निर्माण कार्य आरंभ होगा।
वीरवार सुबह रंगड़ी खेड़ा के ग्रामीणों को जलघर निर्माण के लिए राशि मंजूर होने की सूचना मिली तो वे खुशी से झूम उठे। ग्रामीणों गांव में लड्डू बांटने शुरू कर दिए और एक-दूसरे को बधाई देते हुए कहा कि हमारा संघर्ष रंग लाया। रंगड़ी खेड़ा के ग्रामीणों की आवाज उठाने और जलघर के निर्माण (Construction of Water House) को मंजूरी दिलाने में बीजेपी नेता गोबिंद कांडा की अहम भूमिका रही। गोबिंद कांडा ग्रामीणों की मांग को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी मिले।
इसलिए रंगड़ी खेड़ा के ग्रामीणों ने गोबिंद कांडा व पब्लिक हेल्थ विभाग का आभार जताया है। जलघर का निर्माण होते ही रंगड़ी खेड़ा वासियों को नहर का शुद्ध पानी मिलने लगेगा। इस अवसर पर पूर्व सरपंच जगजीत सिंह, विजय चूघ, भजन कंबोज, प्रधान बिट्टू सिंह, बब्बू, पवन कुमार, मंगा सिंह, बिट्टू एचपी, बलवीर नंबरदार, अंग्रेज सिंह, ओम प्रकाश सैनी,बाबा सुख जी, चरणजीत, महंत नानकी जी सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।
अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे ग्रामीण
पानी की घोर समस्या को लेकर सोमवार को रंगड़ी खेड़ा के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता गोबिंद कांडा व पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारीगण मौके पर पहुंचे। एसई ने ग्रामीणों को भरोसा दिया कि तीन माह के अंदर रंगड़ी खेड़ा में जलघर का निर्माण (Construction of Water House) शुरू हो जाएगा।
जब तक जलघर का निर्माण पूरा नहीं होता हररोज गांव में पानी का टैंकर विभाग द्वारा भेजा जाएगा। गोबिंद कांडा ने भी ग्रामीणों के अपनी ओर से पानी का टैंकर भेजने की बात कही। एसई और गोबिंद कांडा पर भरोसा करके ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन धरना समाप्त कर दिया।
दूर से पानी लाना नहीं था आसान
दरअसल पीने का पानी लाने के लिए सुबह होते ही ग्रामीण जुट जाते थे। ज्यादातर ग्रामीणों को 10 किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना पड़ता था। जो ग्रामीण इतनी दूर नहीं जा सकते वो पैसे देकर पानी का टैंकर मंगवाते थे। पानी की समस्या से सबसे बुरा हाल महिलाओं का होता था। भीषण गर्मी में दूर से पानी लाना आसान नहीं होता। वहीं गांव रंगड़ी खेड़ा का भूजल दूषित हो चुका है।
इस जल के खतरनाक परिणाम से ग्रामीण कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं और उनकी हड्डियां भी कमजोर होती जा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी में शोरा बहुत ज्यादा है। पानी का स्वाद नमकीन व कड़वा है। इसके प्रभाव से ग्रामीणों में हड्डी से जुड़ी बीमारी हो रही है।
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