डेरा सच्चा सौदा के पर्यावरण सुधार प्रयासों में कर रहे हैं सहयोग
- डेरा सच्चा सौदा में स्थापित सॉलिड वेस्ट से बायोगैस उत्पादन का संयंत्र स्थाना में सहयोग कर चुके हैं मिढ्ढा
शिमला (सच कहूँ न्यूज)। पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन योगदान के लिए डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी इनवायरमेंट इंजीनियर राजपाल मिढ्ढा को हिमाचल रत्न से सम्मानित किया गया। राजपाल मिढ्ढा का मानना है कि मानव जीवन मिला है तो औरों के भी काम आएं, इसी सोच के साथ 21वीं सेंचुरी इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने मिनिस्ट्री आॅफ रिन्यूएबल एनर्जी गर्वनमेंट आॅफ इंडिया के साथ मिलकर डेरा सच्चा सौदा सरसा में 2011 में वेस्ट टू एनर्जी के कॉन्सेप्ट पर बायो सीएनजी प्लांट लगाया, जोकि आज के समय में सफल रूप से चल रहा है। इसमें पूरा सॉलिड वेस्ट को बायो सीएनजी में परिवर्तित किया जाता है।
जो एलपीजी गैस कुकिंग की जगह प्रयोग में लाया जाता है। इनकी पत्नी अनीता भी आईडब्ल्यूयूसी चंडीगढ़ की वाईस प्रेजीडेंट हैं और इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर समय-समय पर कई तरह की स्पेशल एक्टिविटीज करती रहती हैं, जैसे कि गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए मैडिकल कैंप, लंगर सेवा, राशन सेवा, स्टेशनरी मुहैया करवाना आदि शामिल हैं। कोरोना के दौरान भी कई जरूरतमंद लोगों की मदद भी इन्होंने की है। इनका अपना एनजीओ एन ए कल्चरल सोसायटी के नाम से जरूरतमंद लड़कियों की पढ़ाई में मदद कर रहा है।
लंबे संघर्ष के बाद शुरू किया अपना बिजनेस
राजपाल मिढ्ढा ने अपनी पहली जॉब ट्रेनिंग इंजीनियर के तौर पर की। अलग-अलग क्षेत्रों में 12 साल के लंबे संघर्ष के बाद इनको लगा कि अब अपना स्वयं का बिजनेस करना चाहिए। इसके बाद सन् 1993 में अनीता से इनकी शादी हुई। वर्ष 2000 में इन्होंने 21वीं सेंचुरी इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरूआत की और कुछ ही समय बाद डॉ. गजराज सिंह ने इनके बिजनेस के पार्टनर के तौर पर ज्वाइन किया। 21वीं सेंचुरी इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खासतौर पर घरों या फिर इंडस्ट्री से जितना भी वेस्ट वाटर या अन्य मैटीरियल निकलता है, उसका ट्रीटमेंट करके उसे साफ बनाया जाता है, ताकि उसे फिर से प्रयोग में लाया जा सके और वो जगह भी दूषित न हो।
21वीं सेंचुरी इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने विदेशों में भी कई बहुराष्टÑीय कंपनियों में वेस्ट वाटर/सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को एग्जीक्यूट किया है और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया है। पैनासिया बायोटैक लालड़ू के लिए ईटीपी का पहला प्रोजेक्ट करने के बाद इन्होंने, कोलगेट, विप्रो, गोदरेज, सिप्ला, पी एंड जी, यूनिलिवर, जे एंड जे, ग्लैनमार्क, बीईएल और इंडस्ट्रीज के साथ काम किया है। आज इनकी कंपनी 21वीं सेंचुरी इन्वायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड भारत के विभिन्न शहरों में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा रहे हैं और बद्दी से यूएसए और कनाड़ा में एक्सपोर्ट भी कर रही है। इस प्रकार इनकी कंपनी हिमाचल के औद्योगिक विकास में अहम् योगदान दे रही हैं और साथ ही भारत सहित पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतरीन कार्य कर रही है।
परिवार का योगदान
करियर की शुरूआत में राजपाल मिढ्ढा को काफी संघर्ष से गुजरना पड़ा, जिसमें पत्नी अनीता मिढ्ढा ढाल बनकर खड़ी रही। इनके बेटे सिमरन मिढ्ढा भी इन्वायरमेंट इंजीनियर हैं और अपने पिता व डॉ. गजराज सिंह के साथ मिलकर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर लेकर जा रहे हैं। बेटी डॉ. रिया मिढ्ढा, जिनके जन्म के बाद ये कंपनी शुरू हुई, वह आज के समय में कनाडा में एमडीएस कर रही हैं। इनकी दूसरी बेटी निखार मिढ्ढा एनए कल्चरल सोसायटी, जो कि एक एनजीओ है, इसकी फाउंडर प्रेजीडेंट हैं।
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