भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के कमांडर-इन-चीफ उपेन्द्र द्विवेदी का गिलगित बाल्टिस्तान के लिए सेना का सरकार के आदेश की पालना के लिए पूरी तरह तैयार होने की पुष्टि करना, पूरे भारतवासियों के लिए निसंदेह उत्साहजनक बात है। देश 1947 से ही पाक अधिकृत कश्मीर को स्वतंत्र कराने के लिए प्रयत्नशील है। इस सरकार में देश के वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 27 अक्टूबर को श्रीनगर में शौर्य दिवस के मौके पर देशवासियों से कहा था कि अभी हम उत्तर की ओर चलना शुरू हुए हैं, हमारी यात्रा तब तक जारी रहेगी जब तक कि हम 22 फरवरी 1994 को संसद द्वारा देश के साथ किए उस वायदे को पूरा नहीं कर लेते कि पूरा कश्मीर गिलगित-बाल्टिस्तान तक हासिल नहीं कर लेते।
नि:सन्देह कश्मीर के लिए देश अब तक हजारों जवानों की शहादत दे चुका है। फिलहाल गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान में नॉर्थन एरिया के नाम से प्रशासित किया जा रहा है जिसे कि 1970 में पाकिस्तान ने अपने कब्जे के कश्मीर से अलग करके स्थापित किया हुआ है। गिलगिट बाल्टिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर से करीब छह गुणा बड़ा क्षेत्र है। अभी गिलगिट बालिटस्तान की आबादी करीब 22 लाख व क्षेत्रफल 73 हजार किलोमीटर है। गिलगिट बालिटस्तान में विधानसभा की 33 सीट, 3 डिवीजन, 14 जिले, 31 के करीब तहसीलें हैं। 2009 में पाकिस्तान के राष्टÑपति आसिफ अली जरदारी ने अपने अवैध आदेशों के द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वायत शासी क्षेत्र घोषित किया, उसके बाद दो साल पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ईमरान खान ने अधिकार न होते हुए भी इस क्षेत्र को प्रोविजनल प्रोविन्स घोषित किया है।
गिलगित-बाल्टिस्तान की कराकोरम पर्वत श्रृंखला का कुछ क्षेत्र पाकिस्तान ने अवैध तौर पर चीन के हवाले किया हुआ है। 1947 में आजादी एवं देश के बंटवारे के वक्त भारतीय नेताओं से खासकर महाराजा हरी सिंह से भारी भूल हुई है जिसके कारण देश का एक बहुत बड़ा भूभाग देश से अलग रह गया। इतना ही नहीं बाद में 1965, 1971 के वक्त भी भारत-पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयों में जंग के मैदान में जीतकर, कूटनीति की टेबल पर भारत हार गया नतीजा पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान तक देश के साथ जुड़ न सका। भले ही अब गिलगित-बाल्टिस्तान में चीनी दखल भी बढ़ रहा है, पाकिस्तान पाक अधिकृत क्षेत्र में नया एयरबेस स्थापित कर रहा है, प्रशासनिक तौर पर पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान में फेरबदल कर उसे अपने में मिलाने की पुरजोर कोशिशें कर रहा है परन्तु भारतवासियों को अपने ईरादों को मजबूत रखना होगा, सरकार पर दबाव बनाए रखना होगा, सेना को तैयार रखना होगा जब तक कि पूरा कश्मीर एक होकर देश का अभिन्न अंग न बन जाए।
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