नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आपातकाल में लोकतंत्र को कुचलने का जो काम हुआ और जनता के अधिकारों को जिस निर्ममता से मसला गया तथा लोगों ने तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ते हुए जिस तरह से लोकतंत्र बहाल किया आने वाली पीढ़ियों को इसिहास की इस घटना को कभी भूलना नहीं चाहिए। मोदी ने आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 90वीं कड़ी में कहा कि जून महीने में ही 1975 में देश में आपातकाल लगाकर लोगों की अधिकारों को छीना गया था और लोकतंत्र के गले को घोटने का काम हुआ था। देश की आने वाली पीढियां कभी इसे भूला नहीं सकती हैं।
आपातकाल के दौरान लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था और उन पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा,‘उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था। प्रतिबंधों की ये हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था। मुझे याद है कि तब मशहूर गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की वाह-वाही करने से इनकार किया तो उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रेडियो में उनकी एंट्री हटा दी गई लेकिन बहुत कोशिशों, हजारों गिरफ्तारियों और लाखों लोगों पर अत्याचार के बाद भी, भारत के लोगों का लोकतंत्र से विश्वास डिगा नहीं, रत्ती भर नहीं डिगा। हम लोगों में सदियों से जो लोकतंत्र के संस्कार चले आ रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना हमारी रग-रग में है आखिरकार जीत उसी की हुई। लोकतांत्रिक तरीके से ही आपातकाल को हटाकर लोकतंत्र की स्थापना की।
आने वाली पीढ़ियों को भी भूलना नहीं चाहिए
उन्होंने कहा कि उस दौर में संवैधानिक संस्थाओं को कुचल दिया गया था लेकिन लोगों ने संविधान को जिंदा रखा और लोकतांत्र को जिंदा रखने की लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ी। लोगों ने तानाशाही और तानाशाही की मानसिकता को पराजित किया। उन्होंने कहा कि ऐसा उदाहरण दुनिया में कहीं और नहीं मिलता है। देश आज आजादी के 75वें साल पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है इतिहास की सभी अहम पड़ाव से सीखते हुए हम सबको आगे बढ़ते रहना है।
मोदी ने कहा,‘आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपातकाल के उस भयावह दौर को भी हमें कभी भी भूलना नहीं चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को भी भूलना नहीं चाहिए। अमृत महोत्सव सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्ति की विजय गाथा ही नहीं, बल्कि, आजादी के बाद के 75 वर्षों की यात्रा भी समेटे हुए है। इतिहास के हर अहम पड़ाव से सीखते हुए ही हम आगे बढ़ते हैं।
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