One Nation One Election: भारत सरकार यानी पीएम मोदी की सरकार सालों से जिस ‘एक देश-एक चुनाव’ की बात करती आ रही थी, अब उसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल केंद्र सरकार ने अब एक कमेटी का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपी गई है। बता दें कि ये कमेंटी एक देश-ए चुनाव को लेकर काम करेंगी। वहीं सरकार ने इस कमेंटी का गठन ऐसे समय पर किया है, जब इस बात की चर्चा जोरो-शोरों पर है यानी इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि संसद के विशेष सत्र में एक देश-एक चुनाव को लेकर बिल लाया जा सकता है, संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर एक देश-एक चुनाव की वकालत करते रहे थे, पिछले महीने राज्यसभा में चर्चा के दौरान भी उन्होंने एक देश-एक चुनाव को समय की जरूरत बताया था। दरअसल एक साथ चुनाव कराने के समर्थन में एक तर्क यह भी दिया जाता है कि इससे सरकारी मशीनरी का सही इस्तेमाल हो सकेगा और बार-बार आचार संहिता न लगने से विकास कार्य पर भी असर नहीं पड़ेगा। वहीं भारत में इसे लेकर पहले शुरू हो गई है, लेकिन आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है, वहां पहले से ही एक साथ सारे चुनाव होते हैं।
किस किस देश में एक साथ होते हैं चुनाव | One Nation One Election
दरअसल दुनिया में कहीं ऐसे देश है जहां पर सारे चुनाव एक साथ किए जाते हैं यानी यहां पहले से ही सारे चुनाव एक साथ किए जाते हैं। ये कुछ देश है जहां एक साथ चुनाव किए जाते हैं।
साउथ अफ्रीका: साउथ अफ्रीका में संसद, प्रांतीय विधानसभाओं और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ होते हैं। यहां हर पांच साल में चुनाव कराए जाते हैं।
स्वीडन: स्वीडन में भी एक साथ ही सारे चुनाव होते हैं। यहां हर 4 साल में आम चुनाव के साथ-साथ काउंटी और म्यूनिसिपल काउंसलि के चुनाव होते हैं।
बेल्जियम: बेल्जियम में भी 5 तरह के चुनाव होते हैं और यह हर 5 साल के अंतर पर होते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि ये सारे चुनाव एक साथ ही कराए जाते हैं।
यूके: यूके में हाउस ऑफ कॉमन्स, स्थानीय चुनाव और मेयर चुनाव एक साथ में ही होते हैं। यहां पर मई के पहले हफ्ते में सारे चुनाव कराए जाते हैं। यूके के संविधान के तहत, समय से पहले चुनाव तभी हो सकतें हैं जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए और दूसरी पार्टी सरकार न बना सकें। One Nation One Election
इंडोनेशिया: इंडोनेशिया में राष्ट्रपति और लेजिसलेटिव इलेक्शन साथ में होते हैं, इसके अलावा जर्मनी, फिलिपींस, ब्राजील, बोलीविया, कोलंबिया, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, गुआना, जैसे देशों में भी एक साथ ही सारे चुनाव होते हैं।
एक देश, एक चुनाव : माना जा रहा बड़ा फैसला
वहीं बता दें कि आज भले ही देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ नहीं होते हो, लेकिन एक समय था जब सारे चुनाव एक साथ होते थे। देश की आजादी के बाद देश में पहली बार 1951-52 में लोकसभा चुनाव हुए थे। उस समय लोकसभा के साथ साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराएं गये थे। इससे बाद 1957, 1962 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए। लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभा समय से पहले भांग भी की गई है वही 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग किया गया था 1970 के बाद ही ‘एक देश, एक चुनाव की परंपरा खत्म हो गई थी। इस तरह से एक साथ चुनाव कराए जाने का ये सिलसिला टूट गया।
इसके बाद 1999 में लॉ कमीशन ने पहली बार अपनी रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद 2015 में संसदीय समिति ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था। फिर अगस्त 2018 में लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा संवैधानिक ढांचे के तहत एक साथ चुनाव नहीं कराया जा सकते, हालांकि कुछ संवैधानिक संशोधन कर ऐसा किया जा सकता है।