दिल्ली विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग का अंकुश

election commission curb in delhi assembly elections - Sach Kahoon news

दिल्ली विधानसभा चुनावों में चुनाव प्रचार बड़े जोरों-शोरों से चल रहा है पर वहीं इस दौरान कुछ नेताओं द्वारा आपत्तिजनक भाषा प्रयोग के मामले भी सामने आए हैं और जिसका चुनाव आयोग ने सख्त नोटिस लिया है। चुनाव महज वोटर के विवेक की परख हैं, जिसे घटिया राजनीति करने वाले नेताओं ने जंग का मैदान बना दिया है। जहां तक चुनाव आयोग की सख्ती का संबंध है वहा चुनाव आयोग ने सख्त व तुरंत फैसले लेने में कोई संकोच नहीं किया।

चुनाव आयोग ने भाजपा के उम्मीदवार कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है और उसके द्वारा किए गए आपत्तिजनक ट्वीट को भी हटाया है। मिश्रा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों को भारत व पाकिस्तान की जंग करार दिया था। चुनावों की प्रक्रिया भारत के चुनाव आयोग द्वारा पूरी करवाई जाती है यहां पाकिस्तान का इससे कोई मतलब ही नहीं है। भारत में चुनाव वही व्यक्ति लड़ सकता है जिसे भारत के सविंधान में विश्वास है और वह खुद को भारतीय कहलवाता है। ऐसी संवैधानिक व्यवस्था के होते हुए चुनाव लड़ रहे किसी व्यक्ति को पाकिस्तानी करार देना अपने आप में संविधान का अपमान है। चुनावों में जीत-हार बाद की बात है, सबसे अधिक अहमियत चुनावों की है। हमारे देश में चुनाव उत्सव रूप ले रहें हैं, हालांकि कुछ नेता अपनी जहर बुझी ब्यानबाजी द्वारा माहौल को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं फिर भी यह सौभाग्य वाली बात है कि अब अनाप-शनाप बोलकर माहौल खराब करने वाले के खिलाफ न केवल कार्रवाई होती है बल्कि ऐसे नेता पार्टी में अकेले पड़ जाते हैं और पार्टी उनकी ब्यानबाजी से किनारा कर लेती है।

कपिल मिश्रा के बाद चुनाव आयोग ने भाजपा के दो स्टार प्रचारकों पर भी पाबंदी लगा दी है। नि:संदेह चुनाव आयोग ने इन सख्त फैसलों से दर्शा दिया है कि वह बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम कर रहा है। बेशक दिल्ली विधानसभा की सीटों की संख्या केवल 70 ही है परंतु चुनावों पर पूरे देश की नजर है। बेशक सीएए के कारण दिल्ली में कई बार माहौल गर्माहट वाला बन चुका है। फिर भी लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के आदेशों के प्रति सचेत हैं और एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए मुद्दों पर ध्यान केद्रिंत कर रही हैं। आम आदमी पार्टी अपना संकल्प पत्र व भाजपा चुनावी घोषणा पत्र पेश कर चुकी हैं। दोनों पार्टियों की ओर से बड़े-बड़े वादे-दावे किए जा रहे हैं, हालांकि दिल्ली के वोटर की सोच देश के बाकी राज्यों से अलग है। उम्मीद की जानी चाहिए कि चुनाव शांतिपूर्वक तरीके से सम्पन्न होंगे और वोटरों को अपने अधिकारों का प्रयोग करने का अवसर मिलेगा।

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