100 करोड़ का बजट भी नहीं दिला पाया भाषा शिक्षक
सच कहूँ/संदीप सिंहमार
हिसार। भारत देश विविध भाषाओं विभिन्न धर्मों व विभिन्न राज्यों की अलग-अलग संस्कृतियों के बीच धर्मनिरपेक्ष देश है। इन्हीं विविधताओं के अंतराल को कम करने के लिए वर्ष 2015 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष में एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत देशभर के 2 राज्यों का एक जोड़ा बनाकर सबसे पहले संबंधित राज्य की भाषा का ज्ञान बच्चों को कराया जाएगा और फिर धीरे-धीरे संबंधित प्रदेश की संस्कृति का ज्ञान भी दिया जाएगा। लेकिन 6 वर्ष बीतने के बावजूद भी अभी तक देशभर के सरकारी स्कूलों में विभिन्न भाषाओं के शिक्षक ही उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।
हालांकि देशभर में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में भाषा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग को 100 करोड़ का बजट भी जारी किया गया, फिर भी भाषा शिक्षकों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान कैसे हो पाएगा, यह सबसे बड़ा सवाल है ?
यूट्यूब बना शिक्षक! तेलंगाना राज्य की भाषा तेलुगु का एक भी शिक्षक हरियाणा के किसी भी स्कूल में नियुक्त नहीं है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना शिक्षकों को करना पड़ रहा है। खानापूर्ति के लिए सरकारी आदेशों की पालना हेतु शिक्षक सबसे पहले यूट्यूब पर सर्च करके खुद तेलुगु भाषा का ज्ञान लेकर फिर बच्चों में इस ज्ञान को स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं।
पारंगत शिक्षक भी स्कूलों में भेजने चाहिए
यदि सरकार चाहती है कि तेलुगु भाषा सिखाई जाए तो उन्हें तेलुगु भाषा में पारंगत शिक्षक भी स्कूलों में भेजने चाहिए। नहीं तो किसी अन्य भाषा का अध्यापक या प्राध्यापक उन्हें तेलुगु कैसे सिखा सकता है? जिसका उसको स्वयं ही ज्ञान नहीं है विद्यालयों में जहां हरियाणवी बोली का परिवेश है, वहां पर बच्चों को शुद्ध हिंदी भी बोलनी नहीं आती और वहां उन्हें तेलुगु भाषा सिखाने के लिए बाध्य किया जा रहा है जो कि सरासर गलत है। इस तरह के औचित्य विहीन कार्य करवाना बंद करें ताकि बच्चे अपने विषयगत पढ़ाई को सुचारू रूप से कर सकें।
राजेंद्र जाखड़, हरियाणा महासचिव हसला हिसार।
हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत के शिक्षक दे रहे तेलगू भाषा का ज्ञान: यदि हरियाणा प्रदेश की बात करें तो एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत हरियाणा का जोड़ा तेलंगाना राज्य के साथ बनाया गया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए हरियाणा के स्कूलों में कक्षा 6 से 12वीं तक पढ़ने वाले बच्चों को तेलुगु भाषा सिखाने के साथ-साथ तेलंगाना राज्य की संस्कृति से भी रूबरू करवाया जाना है लेकिन अभी तक हरियाणा के किसी भी स्कूल में तेलुगु भाषा से संबंधित एक भी शिक्षक मौजूद नहीं है। हालांकि दूसरे राज्यों की भाषा व सांस्कृतिक विरासत को सीखना अनिवार्य नहीं है लेकिन प्रत्येक स्कूल में कक्षा 6 से 12 वीं तक के बच्चों को ग्रुप बनाना व एक्टिविटी करवाना शिक्षकों के लिए अनिवार्य किया गया है। यह भाषाई ज्ञान हरियाणा के स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत के शिक्षकों को ही देना पड़ रहा है।
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