नयी दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूर्वोत्तर राज्यों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार का द्वार हमेशा खुला है, यदि कृषि क्षेत्र से संबंधित किसी भी योजना में कोई कठिनाई होती है तो वे प्रस्ताव लेकर आएं, उसका समाधान किया जाएगा। तोमर और केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कल पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में कृषि क्षेत्र में सरकार की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा तथा सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर विशेष बल दिया है। पाम आयल क्षेत्र में अवसरों को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने सुझाव दिया है कि उत्तर-पूर्व में नौ लाख हेक्टेयर भूमि पाम तेल उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इस उत्पादन से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के किसानों को अत्यधिक लाभ होगा, नए रोजगार सृजित होंगे और पाम तेल का आयात कम किया जा सकेगा। इस प्रकार, भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने में उत्तर-पूर्व की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि कुछ बागवानी व औषधीय फसलें केवल उत्तर-पूर्वी राज्यों में होती हैं, जिनके निर्यात का भी बहुत बड़ा अवसर है। कृषि और वाणिज्य मंत्रालय ऐसे अवसरों का दोहन करने और पूर्वोत्तर राज्यों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने राज्य सरकारों से प्राकृतिक खेती पर ध्यान देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों की आदान खरीदने पर निर्भरता कम होगी, इस संबंध में प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण भी साफ है कि पारंपरिक क्षेत्र-आधारित प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करके कृषि की लागत को कम किया जाना चाहिए। प्राकृतिक खेती से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। उन्होंने सिक्किम और अन्य उत्तरी राज्यों को जैविक खेती में उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी।
रेड्डी ने सुझाव दिया कि कृषि मंत्रालय व राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ टास्क फोर्स का गठन किया जाए ताकि कृषि योजनाओं का और बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। मंत्री ने कहा कि कृषि एवं पर्यटन उद्योगों में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व को जैविक खेती के केंद्र के रूप में विकसित करने के दृष्टिकोण को रेखांकित किया है। इस क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में बागवानी के विकास की भी अपार संभावनाएं हैं, चाहे वह अनानास, संतरा, कीवी या मसाले जैसे हल्दी, अदरक, इलायची आदि हों।
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