जम्मू कश्मीर से धारा-370 और 35-ए हटाने के फैसले का देश भर में स्वागत हुआ। अमेरिका सहित विश्व के महत्वपूर्ण देशों ने भारत का समर्थन किया है। अब आवश्यकता है कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के प्रयास किए जाएं। वादी में इन्टरनेट से पाबंदी हटाने के बाद फिर लगा दी गई है। स्कूल खुल गए हैं लेकिन अधिकतर स्थानों पर बच्चे नहीं आ रहे। कई स्थानों पर स्टाफ भी नहीं आ रहा। केन्द्र सरकार व राज्य प्रशासन को मिलकर हालात सामान्य बनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी कश्मीर वादी में दस दिन गुजार कर आम लोगों से बातचीत कर चुके हैं दूसरी तरफ पाकिस्तान कश्मीर में हालात खराब बिगाड़ने व इसे अंतरर्राष्टÑीय मुद्दा बनाने की कोशिशें कर रहा है।
पाकिस्तान के कई मंत्री ही सोशल मीडिया पर कश्मीर के संदर्भ में गलत तस्वीरें व फेक वीडियो बनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की साजिशें रच रहे हैं। सीमा पर गोलीबारी कर पाकिस्तान युद्ध विराम तोड़ रहा है। पिछले दिनों घट रही घटनाओं में भारतीय जवान शहीद हो गए। काश्मीरियों को यह समझना होगा कि पाकिस्तान की भूमि से जारी आतंकवाद ने ही निर्दोष कश्मीरियों का खून बहाया है। भोले-भाले कश्मीरी युवाओं को गुमराह कर पाक ने उनके हाथों में हथियार थमाए है। अलगाववादी दोहरी खेल खेल रहे हैं, एक तरफ वे भारत सरकार से सुविधाएं लेते रहे और इनके कई पारिवारिक सदस्य सरकारी नौकरियों पर तैनात हैं।
दूसरी तरफ ये नेता जनता को भारत सरकार के खिलाफ भड़काते रहे। आतंकवादी संगठनों द्वारा अलगाववादियों को चंदा देने के मामले से भी पर्दा उठ चुका है। दरअसल अलगाववादियों ने कश्मीरी जनता की आवाज के नाम पर खुद सुविधाओं का लाभ लिया हैं। अलगाववादी पाकिस्तान की गुण गाते रहे, वे कश्मीरियों के समर्थन में कम और पाकिस्तान का ज्यादा समर्थन करते रहे। भारत सरकार ने अलगाववादी नेताओं को कई बार बातचीत का न्यौता दिया, लेकिन उन्होंने बायकाट करने का रास्ता ही अपनाए रखा। भारत सरकार को इस वक्त ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है ताकि पाक की साजिशों को नाकाम करने के साथ-साथ कश्मीरियों का दिल भी जीता जा सके।