Water Management Plan : मात्र 15 या 20 दिन पहले दिल्ली में पानी की कमी से हाहाकार मची हुई थी। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार हरियाणा पर पानी न देने का आरोप लगा रही थी। भाजपा द्वारा भी दिल्ली में पानी के लिए दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे थे वहीं दिल्ली की जल मंत्री आतिशी पानी की मांग को लेकर खुद अनशन पर बैठ गई थी। यह घटनाक्रम हर वर्ष होता है। मई-जून में पानी की किल्लत फिर जून-जुलाई में मानसून से पानी द्वारा तबाही। यह हाल अकेले दिल्ली का नहीं बल्कि लगभग सभी राज्यों का है।
मानसून की पहली बारिश में ही दिल्ली अस्त-व्यस्त नजर आई
मानसून की पहली बारिश में ही दिल्ली अस्त-व्यस्त नजर आई। हरियाणा, पंजाब में भी जहां-जहां मानसून की बारिश हुई। कहीं पर सड़कें नदी का रूप धारण किए हुए थीं, तो कहीं दुकानों, घरों में पानी घूसा, पेड़ गिरे, बिजली के खंभे टूटे। जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ। यही ठीक है कि प्रकृति के आगे किसी का जोर नहीं चलता। लेकिन कुछ सावधानियों व संसाधनों के द्वारा इस प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है। समय रहते पानी निकासी के संसाधन दुरूस्त कर लिए जाएं, पानी निकासी के नालों की सही ढंग से साफ-सफाई हो, बिजली के कमजोर खंभों को समय अनुसार बदला जाए इत्यादि उपायों के द्वारा काफी हद तक आमजन के जीवन को विपरीत परिस्थितियों से बचाया जा सकता है।
जल संकट एक गंभीर और विश्वव्यापी चिंता का विषय है। इस विषय पर सरकार को विस्तृत योजना बनाने की आवश्यकता है ताकि गर्मियों में पानी का अभाव न हो और मानसून में पानी की वजह से नुकसान न हो। इसके लिए वर्षा के जल का संचयन, नदियों को जोड़ने की योजना इत्यादि पर गंभीरता से योजना बनाकर अमल में लाने की आवश्यकता है। इस प्रकार की योजनाओं से न केवल पानी की कमी से बचा जा सकेगा बल्कि बाढ़ इत्यादि से होने वाले नुकसान से भी काफी हद तक बचा जा सकेगा। Water Management Plan
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