पंजाब सरकार के सुझाव पर अमल करते हुए व कोविड-19 के मामलों में भारी वृद्धि के बाद केंद्र सरकार ने केंद्रीय माध्यिमक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की दसवीं की परीक्षा रद्द करने व बारहवीं की परीक्षा स्थगित करने का निर्णय लिया है। अब होना यह चाहिए कि कम से कम स्कूल स्तर पर दसवीं के विद्यार्थियों के परिणाम जारी करने में देरी न हो।
आगामी कुछ दिनों में विद्यार्थियों को अंक देने की व्यवस्था तय कर उन्हें 11वीं की शिक्षा शुरू करवा देनी चाहिए, विशेष तौर पर उन राज्यों में जहां स्कूल खुले हैं। भले ही परीक्षा रद्द होने से विद्यार्थी मानसिक तनाव से मुक्त हो गए हैं लेकिन 12वीं के विद्यार्थियों की समस्या का एकतरफा हल नहीं हुआ है। विद्यार्थी कोचिंग लेने के लिए भारी भरकम फीसें व अन्य कई प्रकार के शैक्षिणक खर्च भर रहे हैं, जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ के साथ-साथ विद्यार्थियों में तनाव बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे में सरकार को जल्द उनके संशयों पर स्थिति साफ करनी चाहिए।
सरकार शिक्षा विशेषज्ञों व मनोवैज्ञानिकों की मदद लेकर कक्षा 12वीं की भी समस्याओं का समाधान निकाले। 12वीं के विद्यार्थियों को मानसिक रूप से मजबूत रहने की आवश्यकता है। एक तरफ विद्यार्थियों पर शिक्षा का बोझ बना हुआ है दूसरी तरफ विद्यार्थी अपने भविष्य की योजना को लेकर भी असमंजस में पड़े हुए हैं। भले ही जीवन से बढ़कर कुछ नहीं है, लेकिन यह निर्णय उन राज्यों को अवश्य कष्ट देगा, जहां 9से 12वीं तक के विद्यार्थी स्कूल तो जा रहे हैं लेकिन परीक्षाएं नहीं हो रही। केंद्रीय बोर्ड होने के कारण विभिन्न राज्यों में कोरोना की स्थिति अलग-अलग है।
एक बोर्ड होने के कारण केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों से तालमेल स्थापित कर परीक्षाओं को लेकर यह निर्णय लिया है लेकिन कक्षा 12वीं का समाधान भी दसवीं के आधार पर निकाला जाना संभव है। यदि स्कूल में आयोजित घरेलू परीक्षाओं के आधार पर10वीं के अंक दिए जा सकते हैं तब बारहवीं के लिए क्यों नहीं? एक ही स्कूल के प्रबंधक पर जब दसवीं के अंक देने के लिए विश्वास किया जा सकता है, फिर 12वीं के लिए भी स्कूल एवं शिक्षकों पर विश्वास किया जाए। घरेलू व बोर्ड की परीक्षाओं में विद्यार्थियों के अंकों का थोड़ा-बहुत ही अंतर देखने को मिलता है।
मेडिकल इंजीनियर में दाखिले के लिए अलग से परीक्षाएं होती हैं, इन पर बारहवीं के अंकों का कोई प्रभाव नहीं माना जाता। होशियार बच्चे ही दाखिला परीक्षाओं में सफल होते हैं इसीलिए सरकार को बारहवीं के बच्चों का भी दसवीं की तरह स्कूल स्तर पर परिणाम जारी देना चाहिए।
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