‘जनता कर्फ्यू’ देश में पूरी तरह सफल रहा। इस दौरान पूरा देश अपने घरों में रहा जोकि कोरोना वायरस की बढ़ रही रफ्तार को रोकने के लिए बहुत जरूरी था। जनता कर्फ्यू के बाद राज्य सरकारें 31 मार्च तक ‘लॉकडाऊन’ कर रही है। जनता कर्फ्यू से ‘लॉकडाऊन’ का चरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जनता कर्फ्यू। जनता कर्फ्यू व ‘लॉकडाऊन’ की प्रभावी प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है, इस तरह से पहला लाभ यह है कि संक्रमण का फैलाव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ही नहीं देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने का चलन स्थिर हो जाता है दूसरा लाभ यह है कि अगर कोरोना के संक्रमित व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों जैसे सार्वजनिक कुर्सियों, सीढ़ियों, बसों, मेट्रो आदि को दूषित कर चुका हो तब जनता कर्फ्यू व ‘लॉकडाऊन’ की अवधि में कोरोना का संक्रमण एक स्थान पर पड़ा रहकर अपना जीवन पूरा कर लेता है जैसा कि मानव शरीर, कपड़ों, स्टील, प्लास्टिक, दीवारों पर वैज्ञानिकों अनुसार जो भी कुछ मिनटों से लेकर घंटों व दिनों तक वायरस का जीवन चक्र होता है। स्पष्ट है कि जब कोई दूसरा व्यक्ति किसी भी तरह से पब्लिक स्थान पर कुछ दिन तक नहीं जाएगा वह संक्रमित होने से बच जाएगा।
‘लॉकडाऊन’ के दौरान कोरोना से पीड़ितों का समुचित ईलाज भी संभव है चूंकि देश के पास हस्पताल, स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं जो देश की पूरी चलती फिरती आबादी के सामने पूरी पड़ना मुश्किल हैं। अत: हस्पतालों में मरीजों की भीड़ नहीं बढ़े व स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराए नहीं ‘‘लॉकडाऊन’’ बहुत जरूरी है।
चीन, अमेरिका, यूरोपीय देश भी इसी तरकीब के सहारे कोरोना वायरस पर काबू पाने में जुटे हुए हैं, जोकि काफी हद तक इस पर काबू पा भी रहे हैं। भारत की आबादी बहुत ज्यादा, बहुत घनी है। अत: सरकार के निर्देशों का पूरी तरह पालन कर पूरा देश अपना जीवन सुरक्षित कर सकता है। ‘लॉकडाऊन’ से देश के व्यवसाय का जितना नुक्सान होगा इससे कई गुणा ज्यादा देश मेडिकल खर्चों को बचा लेगा। इससे भी ज्यादा देश अपनी बहुमूल्य जिन्दगियों को बचा लेगा। अत: जनता कर्फ्यू की तरह देश 31 मार्च तक ‘लॉकडाऊन’ का भी पूरा-पूरा पालन करे।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।