आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने की आवश्कता

Economic Principles

कोर सैक्टर की विकास दर एक बार फिर ओंधे मुंह गिरी है, जिस कारण देश की आर्थिक स्थिति चर्चा में है। विपक्ष इसे मंदी और केंद्र सरकार इसे सुस्त व कई अंतर्राष्टय कारणों का परिणाम बता रहा है। कुछ भी हो यह गिरावट गंभीर है और इसीलिए ठोस परिपक्व निर्णय लेने की आवश्यकता है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक स्थिति को बदहाल बताकर सरकार को ठोस निर्णय लेने की बात कही है। मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस मामले में वह राजनीति नहीं कर रहे बल्कि एक जागरूक नागरिक के तौर पर सलाह दे रहे हैं।

अर्थशास्त्रियों के अनुसार देश की विकास दर 8-9 प्रतिशत के स्तर पर होनी चाहिए। सरकार के पास आर्थिक विशेषज्ञों का परिषद है जिसके सदस्य अहम सुझाव दे सकते हैं। अभी तक सरकार बैंकों को अधिक से अधिक कर्ज देने पर ही जोर दे रही है। इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा। जीएसटी कानून एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसकी कमियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने सही समय पर बदलाव भी किए। फिलहाल जीएसटी में अभी और भी सुधार करने की गुंजाईश है।

पंजाब और केरल सहित कई राज्यों का जीएसटी का हजारों करोड़ रुपए केंद्र सरकार की तरफ बकाया पड़ा है जिस कारण राज्यों में बदहाल आर्थिक स्थिति का माहौल है। यह दुरुस्त है कि केंद्र ने आटो-मोबाइल क्षेत्र में आर्थिक मंदी से उभरने के लिए कार्पोरेट टैक्स में कटौती की है लेकिन बाजार में अपेक्षित तेजी नहीं दिख रही। सोने की कीमतों में उछाल निरंतर जारी है। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि केंद्र सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए खुले दिन से पैसा खर्च किया है, लेकिन कोर सैक्टर में जीडीपी की दर 4-5 प्रतिशत तक रहना चिंतनीय है।

सरकार 2024 तक पांच ट्रिलीयन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य लेकर चल रही है जिसके लिए विकास 10 फीसद से ऊपर होनी चाहिए। यदि ऐसी स्थिति रही तो उक्त लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन होगा। फिलहाल तो अर्थव्यवस्था को मुश्किल दौर से निकालने की आवश्यकता है। नोटबंदी भी एक चुनौतीपूर्ण निर्णय भी रहा, जिस कारण आर्थिकता को बड़े स्तर पर ठेस पहुंची है। कृषि सैक्टर में फसलों के भाव पिछले सालों की अपेक्षा गिरने के कारण किसान बुरी तरह परेशान है। सरकार को देश की आर्थिक स्थित सुधारने के लिए डॉ. मनमोहन सिंह समेत उन सभी सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों के सुझाव लेने से भी संकोच नहीं करना चाहिए भले ही जिनकी विचारधारा भाजपा से मेल न खाती हो।

 

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