नई दिल्ली (एजेंसी)। Earthquake: भारत के भूकंप वैज्ञानिकों को लगा है कि भूकंप के केंद्र के आस-पास की सूक्ष्म गतिविधियों की झलक धरती से 80 किलोमीटर से 600 किलोमीटर ऊपर के आयन मंडल में मिल सकती है और इन पर निगाह रखने से भूकंप आने की आहट लगायी जा सकती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस संबंध में अध्ययनों के हवाले से कहा है कि भूकंप के स्रोत की अपेक्षाकृत छोटी प्रक्रियाओं तक का भी, आयनमंडल में प्रतिबिंब झलकता है।
इस अवधारणा के सत्यापन के लिये वैज्ञानिकों ने तुर्की-सीरिया सीमा के पास दक्षिणी तुर्की में फरवरी में आये 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप पर अध्ययन किया। यह भूकंप खगोलीय पिंड के आवरण में विचलन की धरती पर दर्ज की गयी सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है।
नया रास्ता दिखला सकती है शोध | Earthquake
यह झलक भू-चुंबकीय बदलावों तथा स्थान विशेष की रैखिक ज्यामिति जैसे कारकों के साथ-साथ अतंरिक्ष में व्याप्त आयन मंडल के विक्षोभों (सीआईपी) के आयाम और अवधि को प्रभावित करती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज अंतरिक्ष से भूकंप स्रोत प्रक्रियाओं का अवलोकन करने तथा अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग करके भूकंप की आहट लगाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि खगोलीय पिंडों के वाह्य आवरण की ऊर्ध्वाधर हलचलें वायुमंडल में ध्वनिक तरंगें ( एडब्ल्यू ) पैदा करती हैं, जो आयन मंडल तक पहुंचती हैं।
इन विक्षोभों से ग्राउंड ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) रिसीवर और उपग्रहों को जोड़ने वाली लाइन-आॅफ-साइट के साथ इलेक्ट्रॉनों की संख्या में गड़बड़ी पैदा होती है। इन विक्षोभों को आकाशीय आयन मंडल के व्यवस्था क्रम में विक्षोप या पर्टर्बेशन (सीआईपी) कहा जाता है। यह विक्षोभ सामान्यत: पिंड के आवरण स्रोत के 500-600 किमी के भीतर होता है। Earthquake