सराहनीय। पर्यावरण संरक्षण को लेकर शिक्षक के नेतृत्व में दो छात्राओं ने किया सर्वे
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बीमारियों से निजात दिलाने में मिलेगी मदद
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55 घरों के आंकड़ों से सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। वृक्षों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।(Environment protection) इनकी लकड़ी का प्रयोग खाना बनाने से लेकर फर्नीचर और दाह संस्कार तक में होता है। परंतु पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से प्रकृति में असंतुलन पैदा हो रहा है, जिसके भयावह नतीजे आए दिन दम घोटते प्रदूषण के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं। वहीं पशुओं का गोबर भी एक गंभीर समस्या रहती है। इससे मक्खी-मच्छर पनपते हैं। गंदगी फैलती है। इनका निपटान करना अति आवश्यक है।
- इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक शोध किया गया।
- शोध के लिए दो विद्यार्थियों की एक टीम तैयार की गई,
- जिसमें ममता रानी टीम लीडर तथा रजनी रानी टीम सदस्य के रूप में चुनी गई।
- टीम ने विद्यालय के अध्यापक सूर्य प्रकाश शर्मा के नेतृत्व में तीन गाँवों फिरोजाबाद,
- ढाणी संत सिंह और धमोरा थेड़ी के 55 घरों का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार की।
शमशान घाट में प्रतिदिन दाह संस्कारों पर लगभग 1080 किग्रा. लकड़ी खर्च होती है
शोध के विषय को लेकर राजकीय माध्यमिक विद्यालय फिरोजाबाद की टीम ने विज्ञान अध्यापक सूर्य शर्मा के साथ मिलकर विद्यालय में एक दिन का मिड डे मील तैयार करवाया, जिसमें 4 किलोग्राम गोबर की लकड़ी खर्च हुई। जबकि एक दिन के मिड डे मील में सामान्य वृक्ष की लगभग 6 किग्रा. लकड़ी खर्च होती है। यानि लगभग दो किग्रा. लकड़ी की बचत हुई। 55 घरों के सर्वे में सामने आया कि ये परिवार एक दिन में खाना पकाने पर 284 किग्रा. लकड़ी, पानी गर्म करने में 276 किग्रा. लकड़ी खर्च करते हैं। शिवपुरी स्थित शमशान घाट में प्रतिदिन दाह संस्कारों पर लगभग 1080 किग्रा. लकड़ी खर्च होती है। सर्वे में निष्कर्ष निकला कि यदि इन सभी कार्यों में गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाए तो प्रति वर्ष 790 वृक्षों को कटने से बचाया जा सकता है।
कैसे बनाई गोबर की लकड़ी :
विद्यार्थियों ने गोबर, लकड़ी के बुरादे और पेड़ों के सूखे पत्ते और घास मिलाकर गोबर की लकड़ियां तैयार की। इसके लिए 9 इंच पाइप के दो टुकड़े इस्तेमाल किए गए।
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