पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों से मिली परमार्थ और इन्सानियत की शिक्षा
- शाह सतनाम जी गर्ल्ज, कॉलेज की छात्रा रह चुकी है, डीएसपी नतिशा जाखड़
जयपुर। (सच कहूँ/गुरजंट धालीवाल) सच्चे रूहानी संत, पीर-फकीर हर किसी को नेक बनने, मेहनत करने और आत्मबल बढ़ाने की शिक्षा देते हैं। यदि कोई उनको सत्य वचन जानकर माने और अपने जीवन में अपना ले तो उस शख्स को बुलंदियां छूने से कोई नहीं रोक सकता। इसी का जीवंत उदाहरण हैं राजस्थान के बूंदी जिले में तैनात एवं शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल व कॉलेज श्री गुरुसर मोडिया की सुपर स्टूडेंट (पूर्व छात्रा) डीएसपी नतिशा जाखड़। इस होनहार बेटी ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों पर अमल करते हुए न सिर्फ बेहतरीन शिक्षा प्राप्त की बल्कि अपना शानदार करियर भी बनाया।
डीएसपी नतिशा जाखड़ ने बताया सन् 2004 में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने श्रीगुरुसर मोडिया में शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल का उद्घाटन किया था। उस समय उन्होंने स्कूल में छठी कक्षा में प्रवेश लिया। स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते वक्त उन्होंने सीखा कि जरूरतमंदों की मदद कैसे की जाए। इसके लिए वे सुबह कक्षा में जाते थे तो सभी बच्चे मिलकर एक-एक रुपया इकट्ठा करते और जैसे कक्षा में 30 बच्चे थे तो 30 रुपये इकट्ठा हो जाते थे और वो पैसे हम मॉनिटर के पास रख देते। इसके बाद ये पैसे वहां हॉस्पिटल में किसी जरूरतमंद मरीज के उपचार में मदद के लिए दे देते थे। ऐसे ही जन्मदिन पर मिलकर थोड़े रुपये इकट्ठे कर लेते और पार्टी कर ली और जो पैसे बचते उसे चैरिटी कर देते।
नतिशा बताती हैं कि जब वो 12वीं कक्षा में थी तो उनका जयपुर टूर पहुंचा था। उस वक्त स्वीट रोजिज ब्लॉक की छात्राओं का एक समूह पूज्य गुरु जी से मिला। तब पूज्य गुरु जी ने अपने पवित्र मुखारबिंद से फरमाया कि बेटा ये आॅफिसर्स की कलास है। उस वक्त ना तो इतनी समझ थी और ना कभी सोचा था कि कभी आरएएस की परीक्षा दूंगी। तब उन्होंने पूज्य गुरु जी के वो वचन अपनी डायरी में लिख लिए। उन्होंने शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल श्री गुरुसर मोडिया से बीए पास करने के बाद जब आगे सोचा कि अब क्या करें तो पूज्य गुरु जी के वो वचन डायरी में पढ़े। वो वचन पढ़ते ही उनके अंदर हिम्मत आई कि मैं आरएएस की तैयारी कर सकती हूँ। इसके बाद उन्होंने एमए ज्योग्राफी सूरतगढ़ से की और आरएएस की तैयारी की। 21 साल की आयु में उन्होंने पहली बार आरएएस परीक्षा दी।
जब आरएएस मेंस की बारी आई तो उन्हें बहुत डर लग रहा था और सोच रही थीं कि अब पूज्य गुरु जी का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। लेकिन असमंजस में थी कि अब परीक्षा नजदीक है, सरसा कैसे जाऊँ? तब पूज्य गुरु जी ने ऐसी रहमत की कि आपजी स्वयं ‘हिंद का नापाक’ मूवी की शूटिंग करने स्वयं सूरतगढ़ पधारे और उन्हें पावन आशीर्वाद प्राप्त करने का सुअवसर प्रदान हुआ। इसके बाद आरएएस परीक्षा के पहले ही चांस में 170वीं रैंक के साथ मुझे आरपीएस मिला। पूज्य गुरु जी की दया, मेहर, रहमत से 22 साल की उम्र में सन् 2019 में डीएसपी के पद पर नियुक्त हुई। 2021 में मेरी शादी हुई और मेरे पति भी डीएसपी के पद पर नियुक्त हैं।
जन्म से भी पहले से पूज्य गुरु जी से जुड़ा है परिवार
नतिशा जाखड़ बताती हैं कि मेरे जन्म से पहले से ही पूरा परिवार पूज्य गुरु जी से जुड़ा हुआ है। पूज्य गुरु जी की समाज सुधार की विचारधारा और सिद्धांत हैं, उनको मैं फॉलो करती हूँ, उससे मुझे पॉजीटिव एनर्जी मिलती है। जो भी काम मुझे दिया जाता है, उसे अच्छे से करने का प्रयास करती हूँ।
शाबास बिटिया, बड़ा मान है हमें अपनी बेटी पर, कि वो नन्ही सी वहां (शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल, कॉलेज श्री गुरुसर मोडिया) पढ़ी और नेशनल प्लेयर बनी और फिर एक-एक वचन लिखती रही। ये हमने देखा है कि जो बच्चे ऐसे वचन लिखते हैं तो वो तरक्की भी जल्दी कर जाते हैं। बड़ा मान है बेटी। पुरुष प्रधान समाज में हमें कोई भी बेटी ऐसे पद पर नजर आती है तो बड़ी खुशी होती है कि हमारी बेटी वहां पर खुश है और समाज को एक नई दिशा दे रही है। बिटिया एक नई दिशा देना, ताकि समाज को भी पता चले कि इतनी बड़ी पदवी पर बैठकर कैसे सेवा की जाती है। शाबास, मालिक बहुत खुशी दे। आशीर्वाद
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों में मानवता और नैतिक मूल्य सिखाए जाते हैं। वहां दुनिया से बिल्कुल अलग माहौल है और वहां के टीचर ऐसे नहीं हैं कि सिर्फ कलास टाइम में पढ़ाते हैं, पूरा दिन वो बच्चों को उसी तरह का माहौल देते हैं, बच्चों को आगे लाने का प्रयास करते हैं। और जिस तरह से रिजल्ट रहता है डिस्ट्रिक टॉपर मोस्टली श्रीगंगानगर जिले में तो श्री गुरुसर मोडिया का ही रहता है। बहुत अच्छा रिजल्ट रहता है। और हमारे वहां के बहुत बच्चे आगे आ रहे हैं। उसी तरह की मुझे जॉब मिली है, जहां में हर दिन किसी पीड़ित की मदद कर सकती हूँ। पीड़ित को न्याय दिला सकती हूँ। मुझे इस जॉब में बहुत अच्छा लगता है, बहुत रूचि भी है।
हमेशा दूसरों के लिए अच्छा करें
अब जब भी मैं कई स्कूल में चीफ गेस्ट के तौर पर जाती हूँ तो वहां देखती हूँ कि शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों से आध्यात्मिक माहौल नहीं मिलता। मैं वहां बच्चों को यही कहती हूँ कि आपकी कक्षा में कुछ बच्चे ऐसे होंगे तो आर्थिक रूप से पिछड़े होंगे या शारीरिक रूप से परेशान होंगे तो उनकी सहायता करें। तो इससे क्या है कि आपको फ्यूचर में फायदा मिलता है, उनकी दुआएं काम आती हैं।
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